गजास्यस्तुतिः संस्कृत, हिमांशु गौड़ : Dr Himanshu Gaur : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive (original) (raw)

गजास्यस्तुति:

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विभास्यामृतास्यप्रभास्यैस्सुमास्यै:

फणास्यैर्हयास्यैस्तथा वानरास्यैर्

द्विजास्यैरजास्यैरुपास्यं द्विपास्यं

मतम्पूजितं संस्मरामो नमाम:

सूर्य, चंद्र, तेजस्वी पुरुष, फूलों जैसे चेहरे वाले खूबसूरत मनुष्य, नाग (वासुकि, शेष नाग आदि) हयग्रीव भगवान्, हनुमान् जी, ब्राह्मणों के मुख, यजुर्वेद के मुख के द्वारा जो उपासनीय हैं, हमेशा पूजे जाते हैं, सम्मानीय हैं, ऐसे हाथी के मुख वाले भगवान् गणेश को हम नमस्कार करते हैं।

सुदन्तैर्विदन्तैश्शुभान्ताशुभान्तैस्

सुदान्तैस्सुकान्तैर्दिनान्तैस्स्मृतन्तं

समन्तात्कुजानान्तकैरन्तकान्तं

ह्यनन्तं नुतं चैकदन्तं नमाम:

सुंदर दांत वाले लोगों द्वारा, बिना दांतों वाले लोगों द्वारा, या पूषा (दक्ष यज्ञ विध्वंस में वीरभद्र ने पूषन् को मुक्का मारा था, क्योंकि जब दक्ष भगवान शिव का अपमान कर रहा था, तब वे दांत दिखा कर हंस रहे थे, वीरभद्र के मुक्के से उनके दांत उखड़ गए थे, इसलिए उनका नाम विदन्त प्रयोग किया है) के द्वारा अंत जिनका ऐसी कथाओं द्वारा, अशुभ का अंत करने में सक्षम पुरुषों द्वारा, शोभन शम-दम पालन करते मुनियों द्वारा, सुन्दर कान्तिमान् मनुष्यों द्वारा, शाम के वक्त किया गया है स्मरण जिनका ऐसे गणेश जो, कुजानान्तों (जनानां समूहो जान: , कुत्सिता जाना:, तेषामन्तकै: धर्मस्थापकै: वीरै: राजभिर्वा) द्वारा, प्रणम्य मौत कई भी मौत, अनन्त फलदायी, एकदन्त भगवान् गणेश का स्मरण करता हूं।

महाशान्तिसक्तैर्महाकान्तियुक्तैर्

महादेवभक्तैर्महावीररक्तैर्

महाकार्यशक्तैरशक्तैस्स्मृतं तं

महामोहहं मोदकात्तं स्मराम:

महान् शांति का रास्ता चुना है जिन्होंने, तपस्या रूपी महान् कांति से युक्त हैं जो, महादेव के भक्त, महावीर हनुमान् में अनुरक्त, महान् कार्यों को करने में शक्त, शरण में आए हुए अशक्त, सभी के द्वारा वे महान् मोह को हरने वाले , लड्डू खाते हुए गणेश जी हैं, हम उनको ही याद कर रहे हैं।

सदा नागकन्याशतीसुन्दरीणां

ततीर्लासयेन्नैजभक्ताय सद्यो

ह्यनूढा विवोढुं धनाढ्यास्सुखाढ्याश्

शुभाढ्याश्शुभाढ्यं विबाधं स्मराम:

नाग लोक की सैकड़ों सुंदरियों की कतारें सजा देने वाले, अपने भक्तों के लिए अनूढा तथा धनाढ्या, सुख में पली-बढ़ी, शुभ लक्षण संपन्न, धार्मिक स्त्रियों को विवाह हेतु देने वाले, शुभ रूपी संपत्ति वाले, बाधाओं को हरने वाले गणेश को हम स्मरण करते हैं।

सहस्राक्षसाक्ष्यं समक्षैकपक्षं

अलक्ष्यं सदाक्ष्णां, सदक्ष्णां सुलक्ष्यं

स्वदत्ताक्षिनिर्मक्षिकैकाक्षिभूतं

क्षमाप्री-क्ष्मादं नुम: क्षीणदोषम्

हजारों धुरियों के एकमात्र साक्ष्य गणेश हैं! बिल्कुल आंखों के सामने है जो, वह पक्ष गणेश हैं! चर्म चक्षुओं से कभी भी ना दीख सकने वाले! किंतु संतो की आंखों को दीखने वाले! अपने द्वारा दी हुई आंखों से बिल्कुल एकांत में दर्शन देने वाले! क्षमा और प्रसन्नता देने वाले! भूमि दान करने वाले! समस्त दोषों से रहित! भगवान् को हम नमस्कार करते हैं।

सहस्रोल्लसद्यौवनद्योतदं तं

अजस्रामृताब्दं ह्यशेषैकशब्दं

सहस्राब्दशब्दाम्बुधाराह्वनीयं

प्रलब्धं सुभाग्यैर्भजे भाग्यलेखम्

सहस्त्र उल्लसित/उत्साहित यौवनों की द्युति/ ज्योति को देने वाले! लगातार बरसने वाले अमृत के बादल! हर एक शब्द में समाहित! हजारों सालों तक स्तुति रूपी शब्दों की धाराओं से जिनको बुलाया जाता है! ऐसे भाग्य लिखने वाले गणेश का, जो कि भाग्य से प्राप्त हुए हैं, मैं भजन करता हूं।

क्वचिद्घोरकर्मा क्वचिद्दिव्यकर्मा

क्वचित्पुण्यवर्मा क्वचिद्गुण्यशर्मा

क्वचिन्माथुरीचातुरीषूत्तरीयस्

स मामुद्धरेद्यज्ञधर्मा गजास्य:

कभी भयानक घोर कर्म करने वाले! कभी दिव्य कर्म करने वाले! कभी पुण्य रूपी कवच वाले! कभी गुणों के ब्राह्मणत्व को धारित करने वाले! कभी मथुरा की चतुराई में सबसे उत्कृष्ट! यज्ञ धर्म वाले, गज के मुख वाले भगवान्! मेरा उद्धार करें।

क्वचिन्मादनीलेखया भ्राजमानो

क्वचित्पाटलाप्रीतिगन्धायमानो

ह्यदृश्योऽखिलादृश्यदृश्यैकदर्शी

सुदृश्यश्रियोद्दर्शितं दर्शयाम:

कभी मदन की लिखाई से भ्राजमान! कभी गुलाबों की खुशबू से प्रसन्न होते हुए, खुशबू में समाहित! अदृश्य रहने वाले! जो सभी अदृश्य दृश्यों के एकमात्र देखने वाले हैं! ऐसे भगवान् गणेश को हम आप लोगों के सामने प्रस्तुत करते हैं/दिखाते हैं, जो सुंदर दृश्यों की लक्ष्मी के द्वारा शास्त्रों में दिखाए गए हैं।

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श्रीमद्गाणपतीगन्धिगन्धायमानोऽसावधुना

हिमांशुर्गौड:

आज भगवान् गणेश रूपी सुगन्ध से ही सुगंधित है यह - हिमांशु गौड़

०३:१२ पराह्णे

१०/०३/२०२३