Dr. Sonu Saini | Jawaharlal Nehru University (original) (raw)

Papers by Dr. Sonu Saini

Research paper thumbnail of ДОКУМЕНТАЛЬНАЯ ПРОЗА: СПЕЦИФИКА ЖАНРА

Филология и лингвистика

Аннотация: в статье выявлена специфика документальной прозы как жанра литературы. Раскрываются сл... more Аннотация: в статье выявлена специфика документальной прозы как
жанра литературы. Раскрываются следующие характерные черты документальной прозы: наличие субъективно‐лирического повествования; самоустранение автора, предоставляющего читателю самому раскрывать смысл предлагаемых фактов; сведение вымысла к минимуму; фактологическое раскрытие
бывших исторических событий или же их переосмысление.

Research paper thumbnail of Growing Multilingualism in India and Russia in the Light of Indigenous Languages

Polylinguality and Transcultural Practices, 2018

The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more tha... more The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more than it was discussed in twentieth century. This paper focuses on the waves and trends of multilingualism among youth in Russia and India today. The study also attempts to establish the reason why these waves and trends are leading youth to a specific direction in both the countries. Today it has become important to thoroughly look into the progress in the field of multilingualism through technology due to which many languages are dying on one side and many others are blooming with time. It shows the result of the survey conducted among Indian and Russian youth on the same issue.

Research paper thumbnail of रुकना मेरा काम नहीं Hindi Poetry by Sonu Saini

Story Mirror, 2022

Motivational Poetry

Research paper thumbnail of Создание эффективных образовательных мобильных приложений нового поколения

Critic, 2021

The article deals with mobile technology to improve efficiency in teaching. The authors have expl... more The article deals with mobile technology to improve efficiency in teaching. The authors have explained how they developed mobile applications for education, how effectively the applications work, the result of teamwork, and how any teacher can develop their own
application.

Keywords: efficiency gains, mobile apps, teamwork, effective learning, generation app

В статье речь идет об использовании мобильной технологии для повы-шения эффективности. Авторы объясняют, как они создали приложе-ния для мобильных телефонов, как эффективно получить приложение в результате коллективной работы и как любой преподаватель может разработать свое собственное приложение.

Ключевые слова: повышения эффективности, мобильные приложе-ния, коллективная работа, эффективное обучение, приложение для поколения

Research paper thumbnail of Bulat Okudzhava सादगी से जीना चाहता है इनसान - बुलात अकुदझ़ावा , अनुवाद — सो नू सैनी

Story Mirror, 2022

Poetry of Bulat Okudzhava

Research paper thumbnail of ОСОБЕННОСТИ ЛИТЕРАТУРНОЙ РЕФЛЕКСИИ ГЕРОЕВ В ПРОЗЕ С.А. АЛЕКСИЕВИЧ («ЦИНКОВЫЕ МАЛЬЧИКИ»)

Вестник Томского государственного университета, 2021

Рассматривается круг чтения героев в романе С.А. Алексиевич «Цинковые мальчики». Раскрывается аль... more Рассматривается круг чтения героев в романе С.А. Алексиевич «Цинковые мальчики». Раскрывается альтернативное видение автором событий Афганской войны. Доказывается, что русская и мировая литература воспринимаются как основа для создания и одновременно развенчания идеологических и культурных мифов о войне. Литературная рефлексия героев исследуется в контексте истории эмоций советского человека последних десятилетий XX в. Акцентируется роль автора в создании художественно-документальной прозы.

Ключевые слова: художественно-документальная проза; человек читающий; «роман голосов»; литературная рефлексия; интертекстуальные связи.

Research paper thumbnail of Yunna morits nanhi billiyon

नन्हीं बिल्लियों का गुलदस्ता युन्ना मोरित्स तैयार है तुम्हारे लिए गुलदस्ता प्यारी नन्ही ... more नन्हीं बिल्लियों का गुलदस्ता

युन्ना मोरित्स

तैयार है तुम्हारे लिए गुलदस्ता
प्यारी नन्ही बिल्लियों से भरा,
फूल नहीं, जो मुरझा जाएँ !
नटखट हैं, ये मन लुभा जाएँ ।

गुलाब, चमेली मुरझा हैं जाते,
फूल डहलिया मुरझा हैं जाते,
तालाब हो या घास के मैदान,
हरे-भरे बाग़ भी सूख हैं जाते,

तुम्हारे लिए गुलदस्ता है कुदरत
किलकारियों से भरा है ख़ूबसूरत,
फूल नहीं जो रहें सुर ताल के बिन,
ख़ूब सुरीली इनकी म्याऊ-म्याऊ की धुन ।

तेज़ तर्रार पंजे हैं मखमली कान!
गोद में आने पर लगता है मान ।
हाथों में मेरे नन्हा हैं ये गुलदस्ता,
बातें ख़ूब बनाता, कभी है झगड़ता ।

फूलदान ले आओ है ये फ़रिश्ता
ये है नन्हीं बिल्लियों का गुलदस्ता ।
देखो ज़रा कितनी राज-दुलारी हैं !
ये नन्ही बिल्लियाँ, प्यारी-प्यारी हैं!

У меня уже готов
Для тебя букет котов,
Очень свежие коты!
Они не вянут, как цветы.

Вянут розы и жасмин,
Вянут клумбы георгин,
Вянут цветики в саду,
Hа лугу и на пруду,

А у меня — букет котов
Изумительной красы,
И, в отличье от цветов,
Он мяукает в усы.

Что за ушки! Что за лапки!
Всяк потрогать их бежит.
Я несу букет в охапке,
Он дерется и визжит.

Я несу букет котов,
Дай скорее вазу.
Очень свежие коты —
Это видно сразу!

Research paper thumbnail of भिखारी की ख़ुद्दारी Hindi Story by Sonu Saini

Story Mirror, 2022

यह वाकया अभी कुछ दिन पहले का है । जाती हुई सर्दी ने फिर से हुँकार भरी थी । सड़कों पर गाड़ियों के सा... more यह वाकया अभी कुछ दिन पहले का है । जाती हुई सर्दी ने फिर से हुँकार भरी थी । सड़कों पर गाड़ियों के साथ-साथ मदमस्त ठण्डी हवाएँ भी सरपट दौड़ लगा रही थीं । ठण्ड तो लगती थी पर फिर भी बाहर निकले बिना रहा नहीं जाता था । इसी तरह पिछले हफ्ते राहुल टहलने के लिए बाहर निकल गया । टहलते-टहलते वह अपने दोस्त निलेश के यहाँ जा पहुँचा । निलेश मसक्वा शहर में कई सालों से रह रहा है और यहीं एक नौकरी करता है । इसके अलावा निलेश लोहे के चने चबाने वाला कवि भी है । राहुल भी कभी-कभी कुछ किस्से-कहानियाँ लिख लेता था ।

वो निलेश से बहुत दिनों बाद मिला था । आज राहुल बिना किस वजह के निलेश के घर चला आया । बड़ा ही मदमस्त मिज़ाज़ होता है जब दो अच्छे दोस्त बेवजह मिलते हैं । ऐसे में ख़ुशी कुछ अलग ही होती है ।

निलेश राहुल को देखकर काफी ख़ुश हुआ और हो क्यों न ? आख़िर उसका सबसे अच्छा दोस्त जो मिलने आया था । दोनों ने अपने बचपन की यादों को ताज़ा करते हुए पहले की तरह इस बार भी कड़क चाय बनाई और फिर ज़मीन पर बैठकर चाय की चुस्की लेने लगे । उनके ठहाकों की आवाज़ शायद पड़ोसियों के शांतिपूर्ण जीवन में खलल डाल रही होगी । यहाँ घरों में अकसर शान्ति का माहौल रहता है लेकिन निलेश के घर पर आज का माहौल कुछ अलग था ।

उन दोनों के बीच इधर-उधर की किस्से-कहानियों का दौर चल निकला । बातों ही बातों में निलेश ने उसके साथ हाल ही में हुई एक बहुत ही दिलचस्प घटना के बारे में बताया । इस घटना को सुनकर निलेश के ने कहा कि —"अरे, भई ! इस किस्से के बारे में तो ज़रूर लिखना चाहिए।"

राहुल की हाँ में हाँ मिलते हुए निलेश ने कहा — "हाँ! हाँ! बिलकुल लिखना चाहिए।"

आख़िर ये वाकया था ही कुछ इतना दिलचस्प । इस किस्से को सुनकर निलेश को यकीन ही नहीं हो रहा था कि आज के समय में ऐसा भी हो सकता है ! शायद आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या बात है जो निलेश इतना हैरान था । चलिए आपको भी इस किस्से के बारे में बताते हैं ।

ये बात मसक्वा शहर की आम घटना जैसी ही है लेकिन कुछ अलग जो इसे ख़ास और दिलचस्प बनाती है । निलेश रोज़ाना अपने काम पर सुबह-सुबह निकल जाता है । मास्को का पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहद उम्दा है । यहाँ भारत की तरह बस, ट्रेन या मेट्रो में धक्के नहीं लगते और न ही साधन मिलने में ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता है । शहर के अन्दर की बात करें तो मेट्रो केवल कुछ ही सेकंड के अन्तराल में आ जाती है । बसें और ट्रेन भी घड़ी के हाथों से हाथ मिलाकर चलती हैं । मजाल है कि एक सेकंड भी इधर से उधर हो जाए । शायद यही वजह है की जनता जनार्धन में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग अकसर अपने साधन छोड़कर सरकारी साधनों में अदब से सफ़र करते हैं ।

एक बार सुबह-सुबह दफ़्तर जाते हुए निलेश मेट्रो स्टेशन से बाहर निकल रहा था तो उसकी नज़र एक जवान लड़के और लड़की पर पड़ी । वो दोनों मेट्रो स्टेशन के दरवाज़े के पास खड़े थे । लड़के के हाथ में एक तख़्ती थी जिसपर रूसी भाषा में लिखा था

“हमारा सामान चोरी हो गया है ।

घर वापस जाने के लिए कुछ पैसों की ज़रूरत है ताकि रेल की टिकट ख़रीद पाएँ ।

कृपया हमारी मदद करें ।”

लड़की के हाथ में एक टिन का डिब्बा था जिसमें कुछ भले लोग तख़्ती को पढ़कर तो कुछ लोग बिना पढ़े चिल्लड़ या कुछ छोटे नोट डाल रहे थे । तख़्ती पर लिखी उस इबारत को पढ़कर उस लड़के और लड़की के साथ घटी घटना को जानकार निलेश थोड़ा दुखी हुआ और सोचने लगा — देखो, कितने चोर-उचक्के आ गए हैं शहर में । बेचारे बच्चों को सामान ही उड़ा ले गए । एक बार को भी नहीं सोचा कि इन बच्चों का क्या होगा ।

वैसे, निलेश अकसर लोगों की मदद करता है । चाहे हो धन से हो या मन से । निलेश ने अपनी जेब से सौ रूबल का नोट (लगभग सौ रूपए के बराबर) निकाले और लड़की के डिब्बे में डाल दिए । लड़की ने मुस्कुराकर निलेश को धन्यवाद कहा । अपने हाथों हुए इस भले काम के बाद निलेश का मन थोड़ा हल्का हुआ । इसके बाद वह अपने दफ़्तर की ओर बढ़ गया । अगले दिन सुबह निलेश जब अपने काम पर जा रहा था तो वो लड़का और लड़की बिलकुल ठीक वहीं कल वाली जगह पर खड़े थे । आज भी लड़के के हाथ में वो तख़्ती और लड़की के हाथ में टिन का डिब्बा था । निलेश ने सोचा कि लगता है इन बेचारों को कहीं दूर जाना है इसलिए इनके पास अभी टिकट के पैसे पूरे नहीं हुए । इस बार निलेश ने पाँच सौ रूबल का नोट निकालकर लड़की के डिब्बे में डाल दिया । लड़की ने फिर से मुस्कुराकर धन्यवाद कहा । निलेश के चेहरे पर एक हलकी-सी मुस्कुराहट आई और वह आगे चल पड़ा ।

शाम को घर लौटकर निलेश ने इस बात का ज़िक्र अपनी घरवाली मरीया से किया । मरिया ने जैसे ही निलेश की बात सुनी, तो वो थोड़ा नाराज़ हुई और कहा —

"तुम भी कहाँ इस तरह के लुटेरों के चक्कर में पड़ जाते हो ? तुम दुनिया-जहान की दिल खोलकर मदद करते हो, इसलिए सभी लोग तुमको लूटते रहते हैं । भीख माँगने का यह तरीका कोई नया नहीं है । बस तुम्हारी नज़र में नहीं पड़ी इस तरह की मजबूरी भरी तख़्तियाँ वरना अभी तक तो तुम कितना ही पैसा लुटा देते । ख़ैर, तुम बच्चे तो हो नहीं, तुम्हारे जैसे जी में आए, वैसा करो ।"

अगले दिन मेट्रो में सफर करते हुए निलेश मन ही मन दुआ कर रहा था की आज वो लड़का और लड़की उसे स्टेशन के बाहर न मिलें । आज वो लड़का और लड़की स्टेशन के बहार नहीं मिले । निलेश के दिल को बहुत सुकून पहुँचा, इसलिए नहीं कि उसे मदद करने में कोई परेशानी थी बल्कि इसलिए कि अब वो दोनों अपने घर लौट गए होंगे । मेट्रो स्टेशन से थोड़ी दूर चलते ही निलेश के होश उड़ गए । उसने अपने माथे पर हाथ मारा और देखा की वो दोनों मेट्रो स्टेशन से थोड़ी दूर सड़क के किनारे उसी तख़्ती और डिब्बे को हाथ में लिए खड़े हैं । आज तख़्ती लड़की के हाथ में थी और डिब्बा लड़के के हाथ में । निलेश को अपनी बीवी मरीया की बात याद आ गई और इन दोनों लुटेरों पर गुस्सा आया । पर चन्द ही पलों में निलेश का गुस्सा शान्त हो गया और वह उन दोनों की ओर बढ़ गया । उसने आज जेब सौ रूबल का नोट निकाला और उनके डिब्बे में डाल दिया । निलेश ने सोचा कि कोई बात नहीं वो कहते हैं न नेकी कर दरिया में डाल । एक-दो दिन तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा । छठे दिन भी निलेश उनके डिब्बे में पैसे डालने ही वाला था कि लड़की ने अपना डिब्बा पीछे खींच लिया । निलेश को ये देखकर बहुत हैरानी हुई । उसने कहा — "अरे भई मैं तुमसे पैसे ले नहीं रहा दे रहा हूँ ।" लड़के ने निलेश के हाथ जोड़े और कहा "भाई साहब, अब हम आपसे और पैसे नहीं ले सकते । आपने हमें वैसे ही बहुत दे दिया है । हमें माफ़ कीजियेगा हम और नहीं ले सकते । आप मेहरबानी करके हमारे डिब्बे में अब से पैसे मत डालियेगा । आज हमारा ठेकेदार नहीं आया वरना हम आज भी आपसे यह कह पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते । ये हमारी मजबूरी है जो हम यहाँ खड़े हैं । आज हमारा यहाँ आख़िरी दिन है । कल से हम दूसरी जगह पर खड़े होंगे । यहाँ हमारी जगह कोई और होगा दूसरी तख़्ती के साथ । आप भले आदमी हैं । आपको भगवान बनाए रखे ।"

यह कहकर लड़की ने निलेश के कोट की जेब में एक कागज़ का लिफ़ाफ़ा रख दिया और दोनों वहाँ से चलते बने । इससे पहले की निलेश कुछ समझ पाता वो दोनों ग़ायब हो गए । निलेश को उस लड़के की बातें समझ में नहीं आईं। कुछ देर अपना माथा खुजलाने के बाद जब उसने वो लिफ़ाफ़ा निकाला तो देखकर उसके होश उड़ गए । उसमें कई पचास-पचास और सौ-सौ के नोट थे । निलेश वहीं पास में लगे बेंच पर बैठ गया । लिफ़ाफ़े के नोट गिनकर देखा तो पूरे दो हज़ार रूबल थे । नोटों के साथ लिफ़ाफ़े में एक रुक्का भी था जिसमें लिखा था । “हम जैसे लोगों की मदद न करें । यह एक बड़ा जाल है ।”

निलेश को सारी बात समझ में आ गई । उन दोनों माँगने वाले लड़के और लड़की की ख़ुद्दारी और सलाह को निलेश अकसर याद करता है । राहुल भी इस किस्से को जानकार बहुत हैरान हुआ था और कहा कि भारत में भी इस तरह के लोग होते हैं पर वहाँ तरीका अलग होता है । लेकिन ऐसी ख़ुद्दारी के बारे उसने कभी नहीं सुना ।

Research paper thumbnail of Зоомбомбинг, безопасность и онлайн-обучение 'Zoombombing', Safety, Security and Online Teaching

Critic, 2021

When citizens of almost all the countries of the planet were looking for alternative ways to int... more When citizens of almost all the countries of the planet were looking for alternative
ways to interact with others, continuing education, and carry out
their jobs, some miscreants were conducting malicious activities on videoconferencing
platforms. This study focused on the ‘zoombombing’ attacks
in the online classes/meetings being conducted online since the beginning
of the year 2020. The paper is based on research, news, data available online
as well as observation of the author. The author has been engaged in online
teaching/meetings for the last eight years. The author's interest in teaching
foreign languages through technology also motivated to bring out this paper.
Various types of malicious attacks in online meeting/classes' zoombombing'
are defined in this paper. The safety and security measurements
while conducting the online class/meeting are shared in this paper.

Keywords: Zoombombing, Online Teaching, Online Class, Safety and security,
Raiding the Class

Когда граждане почти всех стран искали альтернативные способы вза-
имодействия с другими, продолжения образования и выполнения
своей работы, некоторые мескреанты вели злонамеренные действия на
платформах видеоконференцсвязи. В этом исследовании основное
внимание уделялось атакам «зумбомбинг» в онлайн-классах / собра-
ниях, проводимых по интернету. Работа основана на исследованиях,
новостях, данных, доступных в Интернете, а также на наблюдениях ав-
тора. Автор занимается онлайн-обучением / встречами в течение по-
следних восьми лет. Интерес автора к обучению иностранным языкам
с помощью технологий также побудил опубликовать эту статью. В
этой статье определены различные типы злонамеренных атак на он-
лайн-встречах / классах «зумбомбинг». В этой статье представлены ре-
зультаты измерений безопасности и защиты при проведении онлайн-
занятий / встреч.

Ключевые слова: зумбомбинг, онлайн-обучение, онлайн-класс, без-
опасность, рейд на урок.

Research paper thumbnail of Генезис и четыре этапа развития художественно-документального жанра в русской литературе

DEPARTMENT OF RUSSIAN & COMPARATIVE LITERATURE UNIVERSITY OF CALICUT KERALA, 2020

Аннотация: Жанр художественно-документальной литературой является одним из популярных жанров в ру... more Аннотация: Жанр художественно-документальной литературой является одним из популярных жанров в русской литературе 21 века. Настоящая статья является попыткой исследовать генезис художественно-документального жанра в русской литературе. Здесь автор старается определить разделение развития жанра художественно-документальая литераутура с подходящими примерами.
Annotation: The Genre of Documentary prose has become popular in 21s' century in Russian literature. The article is an attempt to explore the genesis of the above mentioned genre. This study also looks into the development of the same in periodic manner. The development of the Documentary prose has been divided into four stages and described with examples from Russian literature.

Research paper thumbnail of Poetry of Pushkin in Hindi

Research paper thumbnail of Bulat Okudzhava Poetry in Hindi Translation

Research paper thumbnail of Ukrepleniye pozitsi. critic compressed

A Journal of the Centre of Russian Studies No. 11 2013 CRITIC JNU t-us-fo

Research paper thumbnail of Sovremennye tekhnologii obucheniya russkomu yazyku kak inost

Министерство образования РФ Министерство образования Кировской области ФГБОУ ВО «Вятский государс... more Министерство образования РФ Министерство образования Кировской области ФГБОУ ВО «Вятский государственный университет» (ВятГУ) Современные технологии обучения русскому языку как иностранному Материалы международных курсов повышения квалификации (1 сентября-30 ноября 2017 г.) Киров ООО «Издательство Радуга-ПРЕСС» 2017

Research paper thumbnail of Sonu. saini. конгресс. институт перевода

Research paper thumbnail of Sonu Saini Spurt of Russian language Maitri20191016 12544 uhw2eg

Research paper thumbnail of Sonu tomsk

Research paper thumbnail of SONU SAINI. ZOSHENKO KI KHANAIYA.

Research paper thumbnail of Polylinguality and Transcultural Practices Growing Multilingualism in India and Russia in the Light of Indigenous Languages

The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more tha... more The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more than it was discussed in twentieth century. This paper focuses on the waves and trends of multilingualism among youth in Russia and India today. The study also attempts to establish the reason why these waves and trends are leading youth to a specific direction in both the countries. Today it has become important to thoroughly look into the progress in the field of multilingualism through technology due to which many languages are dying on one side and many others are blooming with time. It shows the result of the survey conducted among Indian and Russian youth on the same issue.

Research paper thumbnail of CRITIC CRITIC A journal of the Centre of Russian Studies Special Issue No. 15, 2018 Indian Council of Social Science Research

Research paper thumbnail of ДОКУМЕНТАЛЬНАЯ ПРОЗА: СПЕЦИФИКА ЖАНРА

Филология и лингвистика

Аннотация: в статье выявлена специфика документальной прозы как жанра литературы. Раскрываются сл... more Аннотация: в статье выявлена специфика документальной прозы как
жанра литературы. Раскрываются следующие характерные черты документальной прозы: наличие субъективно‐лирического повествования; самоустранение автора, предоставляющего читателю самому раскрывать смысл предлагаемых фактов; сведение вымысла к минимуму; фактологическое раскрытие
бывших исторических событий или же их переосмысление.

Research paper thumbnail of Growing Multilingualism in India and Russia in the Light of Indigenous Languages

Polylinguality and Transcultural Practices, 2018

The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more tha... more The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more than it was discussed in twentieth century. This paper focuses on the waves and trends of multilingualism among youth in Russia and India today. The study also attempts to establish the reason why these waves and trends are leading youth to a specific direction in both the countries. Today it has become important to thoroughly look into the progress in the field of multilingualism through technology due to which many languages are dying on one side and many others are blooming with time. It shows the result of the survey conducted among Indian and Russian youth on the same issue.

Research paper thumbnail of रुकना मेरा काम नहीं Hindi Poetry by Sonu Saini

Story Mirror, 2022

Motivational Poetry

Research paper thumbnail of Создание эффективных образовательных мобильных приложений нового поколения

Critic, 2021

The article deals with mobile technology to improve efficiency in teaching. The authors have expl... more The article deals with mobile technology to improve efficiency in teaching. The authors have explained how they developed mobile applications for education, how effectively the applications work, the result of teamwork, and how any teacher can develop their own
application.

Keywords: efficiency gains, mobile apps, teamwork, effective learning, generation app

В статье речь идет об использовании мобильной технологии для повы-шения эффективности. Авторы объясняют, как они создали приложе-ния для мобильных телефонов, как эффективно получить приложение в результате коллективной работы и как любой преподаватель может разработать свое собственное приложение.

Ключевые слова: повышения эффективности, мобильные приложе-ния, коллективная работа, эффективное обучение, приложение для поколения

Research paper thumbnail of Bulat Okudzhava सादगी से जीना चाहता है इनसान - बुलात अकुदझ़ावा , अनुवाद — सो नू सैनी

Story Mirror, 2022

Poetry of Bulat Okudzhava

Research paper thumbnail of ОСОБЕННОСТИ ЛИТЕРАТУРНОЙ РЕФЛЕКСИИ ГЕРОЕВ В ПРОЗЕ С.А. АЛЕКСИЕВИЧ («ЦИНКОВЫЕ МАЛЬЧИКИ»)

Вестник Томского государственного университета, 2021

Рассматривается круг чтения героев в романе С.А. Алексиевич «Цинковые мальчики». Раскрывается аль... more Рассматривается круг чтения героев в романе С.А. Алексиевич «Цинковые мальчики». Раскрывается альтернативное видение автором событий Афганской войны. Доказывается, что русская и мировая литература воспринимаются как основа для создания и одновременно развенчания идеологических и культурных мифов о войне. Литературная рефлексия героев исследуется в контексте истории эмоций советского человека последних десятилетий XX в. Акцентируется роль автора в создании художественно-документальной прозы.

Ключевые слова: художественно-документальная проза; человек читающий; «роман голосов»; литературная рефлексия; интертекстуальные связи.

Research paper thumbnail of Yunna morits nanhi billiyon

नन्हीं बिल्लियों का गुलदस्ता युन्ना मोरित्स तैयार है तुम्हारे लिए गुलदस्ता प्यारी नन्ही ... more नन्हीं बिल्लियों का गुलदस्ता

युन्ना मोरित्स

तैयार है तुम्हारे लिए गुलदस्ता
प्यारी नन्ही बिल्लियों से भरा,
फूल नहीं, जो मुरझा जाएँ !
नटखट हैं, ये मन लुभा जाएँ ।

गुलाब, चमेली मुरझा हैं जाते,
फूल डहलिया मुरझा हैं जाते,
तालाब हो या घास के मैदान,
हरे-भरे बाग़ भी सूख हैं जाते,

तुम्हारे लिए गुलदस्ता है कुदरत
किलकारियों से भरा है ख़ूबसूरत,
फूल नहीं जो रहें सुर ताल के बिन,
ख़ूब सुरीली इनकी म्याऊ-म्याऊ की धुन ।

तेज़ तर्रार पंजे हैं मखमली कान!
गोद में आने पर लगता है मान ।
हाथों में मेरे नन्हा हैं ये गुलदस्ता,
बातें ख़ूब बनाता, कभी है झगड़ता ।

फूलदान ले आओ है ये फ़रिश्ता
ये है नन्हीं बिल्लियों का गुलदस्ता ।
देखो ज़रा कितनी राज-दुलारी हैं !
ये नन्ही बिल्लियाँ, प्यारी-प्यारी हैं!

У меня уже готов
Для тебя букет котов,
Очень свежие коты!
Они не вянут, как цветы.

Вянут розы и жасмин,
Вянут клумбы георгин,
Вянут цветики в саду,
Hа лугу и на пруду,

А у меня — букет котов
Изумительной красы,
И, в отличье от цветов,
Он мяукает в усы.

Что за ушки! Что за лапки!
Всяк потрогать их бежит.
Я несу букет в охапке,
Он дерется и визжит.

Я несу букет котов,
Дай скорее вазу.
Очень свежие коты —
Это видно сразу!

Research paper thumbnail of भिखारी की ख़ुद्दारी Hindi Story by Sonu Saini

Story Mirror, 2022

यह वाकया अभी कुछ दिन पहले का है । जाती हुई सर्दी ने फिर से हुँकार भरी थी । सड़कों पर गाड़ियों के सा... more यह वाकया अभी कुछ दिन पहले का है । जाती हुई सर्दी ने फिर से हुँकार भरी थी । सड़कों पर गाड़ियों के साथ-साथ मदमस्त ठण्डी हवाएँ भी सरपट दौड़ लगा रही थीं । ठण्ड तो लगती थी पर फिर भी बाहर निकले बिना रहा नहीं जाता था । इसी तरह पिछले हफ्ते राहुल टहलने के लिए बाहर निकल गया । टहलते-टहलते वह अपने दोस्त निलेश के यहाँ जा पहुँचा । निलेश मसक्वा शहर में कई सालों से रह रहा है और यहीं एक नौकरी करता है । इसके अलावा निलेश लोहे के चने चबाने वाला कवि भी है । राहुल भी कभी-कभी कुछ किस्से-कहानियाँ लिख लेता था ।

वो निलेश से बहुत दिनों बाद मिला था । आज राहुल बिना किस वजह के निलेश के घर चला आया । बड़ा ही मदमस्त मिज़ाज़ होता है जब दो अच्छे दोस्त बेवजह मिलते हैं । ऐसे में ख़ुशी कुछ अलग ही होती है ।

निलेश राहुल को देखकर काफी ख़ुश हुआ और हो क्यों न ? आख़िर उसका सबसे अच्छा दोस्त जो मिलने आया था । दोनों ने अपने बचपन की यादों को ताज़ा करते हुए पहले की तरह इस बार भी कड़क चाय बनाई और फिर ज़मीन पर बैठकर चाय की चुस्की लेने लगे । उनके ठहाकों की आवाज़ शायद पड़ोसियों के शांतिपूर्ण जीवन में खलल डाल रही होगी । यहाँ घरों में अकसर शान्ति का माहौल रहता है लेकिन निलेश के घर पर आज का माहौल कुछ अलग था ।

उन दोनों के बीच इधर-उधर की किस्से-कहानियों का दौर चल निकला । बातों ही बातों में निलेश ने उसके साथ हाल ही में हुई एक बहुत ही दिलचस्प घटना के बारे में बताया । इस घटना को सुनकर निलेश के ने कहा कि —"अरे, भई ! इस किस्से के बारे में तो ज़रूर लिखना चाहिए।"

राहुल की हाँ में हाँ मिलते हुए निलेश ने कहा — "हाँ! हाँ! बिलकुल लिखना चाहिए।"

आख़िर ये वाकया था ही कुछ इतना दिलचस्प । इस किस्से को सुनकर निलेश को यकीन ही नहीं हो रहा था कि आज के समय में ऐसा भी हो सकता है ! शायद आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या बात है जो निलेश इतना हैरान था । चलिए आपको भी इस किस्से के बारे में बताते हैं ।

ये बात मसक्वा शहर की आम घटना जैसी ही है लेकिन कुछ अलग जो इसे ख़ास और दिलचस्प बनाती है । निलेश रोज़ाना अपने काम पर सुबह-सुबह निकल जाता है । मास्को का पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहद उम्दा है । यहाँ भारत की तरह बस, ट्रेन या मेट्रो में धक्के नहीं लगते और न ही साधन मिलने में ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता है । शहर के अन्दर की बात करें तो मेट्रो केवल कुछ ही सेकंड के अन्तराल में आ जाती है । बसें और ट्रेन भी घड़ी के हाथों से हाथ मिलाकर चलती हैं । मजाल है कि एक सेकंड भी इधर से उधर हो जाए । शायद यही वजह है की जनता जनार्धन में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग अकसर अपने साधन छोड़कर सरकारी साधनों में अदब से सफ़र करते हैं ।

एक बार सुबह-सुबह दफ़्तर जाते हुए निलेश मेट्रो स्टेशन से बाहर निकल रहा था तो उसकी नज़र एक जवान लड़के और लड़की पर पड़ी । वो दोनों मेट्रो स्टेशन के दरवाज़े के पास खड़े थे । लड़के के हाथ में एक तख़्ती थी जिसपर रूसी भाषा में लिखा था

“हमारा सामान चोरी हो गया है ।

घर वापस जाने के लिए कुछ पैसों की ज़रूरत है ताकि रेल की टिकट ख़रीद पाएँ ।

कृपया हमारी मदद करें ।”

लड़की के हाथ में एक टिन का डिब्बा था जिसमें कुछ भले लोग तख़्ती को पढ़कर तो कुछ लोग बिना पढ़े चिल्लड़ या कुछ छोटे नोट डाल रहे थे । तख़्ती पर लिखी उस इबारत को पढ़कर उस लड़के और लड़की के साथ घटी घटना को जानकार निलेश थोड़ा दुखी हुआ और सोचने लगा — देखो, कितने चोर-उचक्के आ गए हैं शहर में । बेचारे बच्चों को सामान ही उड़ा ले गए । एक बार को भी नहीं सोचा कि इन बच्चों का क्या होगा ।

वैसे, निलेश अकसर लोगों की मदद करता है । चाहे हो धन से हो या मन से । निलेश ने अपनी जेब से सौ रूबल का नोट (लगभग सौ रूपए के बराबर) निकाले और लड़की के डिब्बे में डाल दिए । लड़की ने मुस्कुराकर निलेश को धन्यवाद कहा । अपने हाथों हुए इस भले काम के बाद निलेश का मन थोड़ा हल्का हुआ । इसके बाद वह अपने दफ़्तर की ओर बढ़ गया । अगले दिन सुबह निलेश जब अपने काम पर जा रहा था तो वो लड़का और लड़की बिलकुल ठीक वहीं कल वाली जगह पर खड़े थे । आज भी लड़के के हाथ में वो तख़्ती और लड़की के हाथ में टिन का डिब्बा था । निलेश ने सोचा कि लगता है इन बेचारों को कहीं दूर जाना है इसलिए इनके पास अभी टिकट के पैसे पूरे नहीं हुए । इस बार निलेश ने पाँच सौ रूबल का नोट निकालकर लड़की के डिब्बे में डाल दिया । लड़की ने फिर से मुस्कुराकर धन्यवाद कहा । निलेश के चेहरे पर एक हलकी-सी मुस्कुराहट आई और वह आगे चल पड़ा ।

शाम को घर लौटकर निलेश ने इस बात का ज़िक्र अपनी घरवाली मरीया से किया । मरिया ने जैसे ही निलेश की बात सुनी, तो वो थोड़ा नाराज़ हुई और कहा —

"तुम भी कहाँ इस तरह के लुटेरों के चक्कर में पड़ जाते हो ? तुम दुनिया-जहान की दिल खोलकर मदद करते हो, इसलिए सभी लोग तुमको लूटते रहते हैं । भीख माँगने का यह तरीका कोई नया नहीं है । बस तुम्हारी नज़र में नहीं पड़ी इस तरह की मजबूरी भरी तख़्तियाँ वरना अभी तक तो तुम कितना ही पैसा लुटा देते । ख़ैर, तुम बच्चे तो हो नहीं, तुम्हारे जैसे जी में आए, वैसा करो ।"

अगले दिन मेट्रो में सफर करते हुए निलेश मन ही मन दुआ कर रहा था की आज वो लड़का और लड़की उसे स्टेशन के बाहर न मिलें । आज वो लड़का और लड़की स्टेशन के बहार नहीं मिले । निलेश के दिल को बहुत सुकून पहुँचा, इसलिए नहीं कि उसे मदद करने में कोई परेशानी थी बल्कि इसलिए कि अब वो दोनों अपने घर लौट गए होंगे । मेट्रो स्टेशन से थोड़ी दूर चलते ही निलेश के होश उड़ गए । उसने अपने माथे पर हाथ मारा और देखा की वो दोनों मेट्रो स्टेशन से थोड़ी दूर सड़क के किनारे उसी तख़्ती और डिब्बे को हाथ में लिए खड़े हैं । आज तख़्ती लड़की के हाथ में थी और डिब्बा लड़के के हाथ में । निलेश को अपनी बीवी मरीया की बात याद आ गई और इन दोनों लुटेरों पर गुस्सा आया । पर चन्द ही पलों में निलेश का गुस्सा शान्त हो गया और वह उन दोनों की ओर बढ़ गया । उसने आज जेब सौ रूबल का नोट निकाला और उनके डिब्बे में डाल दिया । निलेश ने सोचा कि कोई बात नहीं वो कहते हैं न नेकी कर दरिया में डाल । एक-दो दिन तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा । छठे दिन भी निलेश उनके डिब्बे में पैसे डालने ही वाला था कि लड़की ने अपना डिब्बा पीछे खींच लिया । निलेश को ये देखकर बहुत हैरानी हुई । उसने कहा — "अरे भई मैं तुमसे पैसे ले नहीं रहा दे रहा हूँ ।" लड़के ने निलेश के हाथ जोड़े और कहा "भाई साहब, अब हम आपसे और पैसे नहीं ले सकते । आपने हमें वैसे ही बहुत दे दिया है । हमें माफ़ कीजियेगा हम और नहीं ले सकते । आप मेहरबानी करके हमारे डिब्बे में अब से पैसे मत डालियेगा । आज हमारा ठेकेदार नहीं आया वरना हम आज भी आपसे यह कह पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते । ये हमारी मजबूरी है जो हम यहाँ खड़े हैं । आज हमारा यहाँ आख़िरी दिन है । कल से हम दूसरी जगह पर खड़े होंगे । यहाँ हमारी जगह कोई और होगा दूसरी तख़्ती के साथ । आप भले आदमी हैं । आपको भगवान बनाए रखे ।"

यह कहकर लड़की ने निलेश के कोट की जेब में एक कागज़ का लिफ़ाफ़ा रख दिया और दोनों वहाँ से चलते बने । इससे पहले की निलेश कुछ समझ पाता वो दोनों ग़ायब हो गए । निलेश को उस लड़के की बातें समझ में नहीं आईं। कुछ देर अपना माथा खुजलाने के बाद जब उसने वो लिफ़ाफ़ा निकाला तो देखकर उसके होश उड़ गए । उसमें कई पचास-पचास और सौ-सौ के नोट थे । निलेश वहीं पास में लगे बेंच पर बैठ गया । लिफ़ाफ़े के नोट गिनकर देखा तो पूरे दो हज़ार रूबल थे । नोटों के साथ लिफ़ाफ़े में एक रुक्का भी था जिसमें लिखा था । “हम जैसे लोगों की मदद न करें । यह एक बड़ा जाल है ।”

निलेश को सारी बात समझ में आ गई । उन दोनों माँगने वाले लड़के और लड़की की ख़ुद्दारी और सलाह को निलेश अकसर याद करता है । राहुल भी इस किस्से को जानकार बहुत हैरान हुआ था और कहा कि भारत में भी इस तरह के लोग होते हैं पर वहाँ तरीका अलग होता है । लेकिन ऐसी ख़ुद्दारी के बारे उसने कभी नहीं सुना ।

Research paper thumbnail of Зоомбомбинг, безопасность и онлайн-обучение 'Zoombombing', Safety, Security and Online Teaching

Critic, 2021

When citizens of almost all the countries of the planet were looking for alternative ways to int... more When citizens of almost all the countries of the planet were looking for alternative
ways to interact with others, continuing education, and carry out
their jobs, some miscreants were conducting malicious activities on videoconferencing
platforms. This study focused on the ‘zoombombing’ attacks
in the online classes/meetings being conducted online since the beginning
of the year 2020. The paper is based on research, news, data available online
as well as observation of the author. The author has been engaged in online
teaching/meetings for the last eight years. The author's interest in teaching
foreign languages through technology also motivated to bring out this paper.
Various types of malicious attacks in online meeting/classes' zoombombing'
are defined in this paper. The safety and security measurements
while conducting the online class/meeting are shared in this paper.

Keywords: Zoombombing, Online Teaching, Online Class, Safety and security,
Raiding the Class

Когда граждане почти всех стран искали альтернативные способы вза-
имодействия с другими, продолжения образования и выполнения
своей работы, некоторые мескреанты вели злонамеренные действия на
платформах видеоконференцсвязи. В этом исследовании основное
внимание уделялось атакам «зумбомбинг» в онлайн-классах / собра-
ниях, проводимых по интернету. Работа основана на исследованиях,
новостях, данных, доступных в Интернете, а также на наблюдениях ав-
тора. Автор занимается онлайн-обучением / встречами в течение по-
следних восьми лет. Интерес автора к обучению иностранным языкам
с помощью технологий также побудил опубликовать эту статью. В
этой статье определены различные типы злонамеренных атак на он-
лайн-встречах / классах «зумбомбинг». В этой статье представлены ре-
зультаты измерений безопасности и защиты при проведении онлайн-
занятий / встреч.

Ключевые слова: зумбомбинг, онлайн-обучение, онлайн-класс, без-
опасность, рейд на урок.

Research paper thumbnail of Генезис и четыре этапа развития художественно-документального жанра в русской литературе

DEPARTMENT OF RUSSIAN & COMPARATIVE LITERATURE UNIVERSITY OF CALICUT KERALA, 2020

Аннотация: Жанр художественно-документальной литературой является одним из популярных жанров в ру... more Аннотация: Жанр художественно-документальной литературой является одним из популярных жанров в русской литературе 21 века. Настоящая статья является попыткой исследовать генезис художественно-документального жанра в русской литературе. Здесь автор старается определить разделение развития жанра художественно-документальая литераутура с подходящими примерами.
Annotation: The Genre of Documentary prose has become popular in 21s' century in Russian literature. The article is an attempt to explore the genesis of the above mentioned genre. This study also looks into the development of the same in periodic manner. The development of the Documentary prose has been divided into four stages and described with examples from Russian literature.

Research paper thumbnail of Poetry of Pushkin in Hindi

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A Journal of the Centre of Russian Studies No. 11 2013 CRITIC JNU t-us-fo

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Министерство образования РФ Министерство образования Кировской области ФГБОУ ВО «Вятский государс... more Министерство образования РФ Министерство образования Кировской области ФГБОУ ВО «Вятский государственный университет» (ВятГУ) Современные технологии обучения русскому языку как иностранному Материалы международных курсов повышения квалификации (1 сентября-30 ноября 2017 г.) Киров ООО «Издательство Радуга-ПРЕСС» 2017

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The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more tha... more The concept of multilingualism or polyglotism is being discussed in twenty first century more than it was discussed in twentieth century. This paper focuses on the waves and trends of multilingualism among youth in Russia and India today. The study also attempts to establish the reason why these waves and trends are leading youth to a specific direction in both the countries. Today it has become important to thoroughly look into the progress in the field of multilingualism through technology due to which many languages are dying on one side and many others are blooming with time. It shows the result of the survey conducted among Indian and Russian youth on the same issue.

Research paper thumbnail of CRITIC CRITIC A journal of the Centre of Russian Studies Special Issue No. 15, 2018 Indian Council of Social Science Research