समावेशी वर्ग में शिक्षा समता और समानता भीमराव रामजी अंबेडकर का दृष्टिकोण (original) (raw)

समावेशी वर्ग में शिक्षा समता और समानता भीमराव रामजी अंबेडकर का दृष्टिकोण

Shodh Sari-An International Multidisciplinary Journal

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का समावेशी वर्ग में शिक्षा, समता और समानता का दर्शन भारत के सामाजिक आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। आजादी के बाद के दशकों में हम विभिन्न विधानों और सरकारी संस्थानों के माध्यम से पहुंच और समानता के मुद्दों में व्यस्त रहे हैं इन में अम्बेडकर ने शिक्षा, शैक्षिक संस्थान, जाति, धर्म, स्त्री आदि मामलों पर प्रकाश डाला । अंबेडकर का मानना हैं की समता और समानता यह हर इंसान की जरूरत ही नहीं यह सभी का अधिकार है । जो खुलकर और बेबाकी से बाबा साहब (बी. आर. अम्बेडकर ने समाज को बताया। बी. आर. अम्बेडकर ने समाज के उन सभी वर्गों को समावेशी कहा, जिनका समाज के अन्य वर्गों द्वारा कहीं न कहीं शोषण किया गया है या फिर किसी व्यक्ति के माध्यम से अभी भी शोषण किया जा रहा हो । अम्बेडकर ने भारत में बिना अधिकारों के रहने वाले प्रत्येक भारतीय लोगों के अधिकारों के बारे में बात की क्योंकि आजादी के बाद ऐसे कई लोग हैं जो उस समाज में रहते तो है पर अधिकार के नाम पर उनका शोषण ही हो रहा है । अम्बेडकर ने जन्म–आधारित उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए अथक संघर्ष किया, जिसमें कुछ उच्च वर्गों के ल...