गभाना स्टेट: मुगलकाल में राजस्थान के तिमनगढ़ से सोमना आए थे राजघराने के वंशज (original) (raw)

गभाना स्टेट: मुगलकाल में राजस्थान के तिमनगढ़ से सोमना आए थे राजघराने के वंशज

गभाना सीनियर स्टेट के राजा रविराज सिंह के निधन के दो साल बाद संपत्ति विवाद को लेकर सुर्खियों में गभाना स्टेट का इतिहास सदियों पुराना...

Newswrap हिन्दुस्तान, अलीगढ़Thu, 16 Jan 2020 08:17 PM

गभाना सीनियर स्टेट के राजा रविराज सिंह के निधन के दो साल बाद संपत्ति विवाद को लेकर सुर्खियों में गभाना स्टेट का इतिहास सदियों पुराना है। मुगलकाल में इस राजघराने के पूर्वज राजस्थान के तिमनगढ़ राज्य से सोमना आए और यहां अपनी नई रियासत बनाई। सोमना रियासत में ही वीरपुरा और गभाना को शामिल करके विस्तार किया गया। यहां के पहले राजा के तौर पर ठाकुर धारंग की ताजपोशी की गई थी। इसके बाद से ही इस रियासत पर गभाना स्टेट परिवार काबिज है। संपत्ति को लेकर परिवार में पैदा हुए विवाद के चलते हिन्दुस्तान की टीम ने गभाना पहुंचकर इस गौरवशाली रियासत और उनकी विरासत की पड़ताल की।अलीगढ़ से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर है गभाना। तहसील मुख्यालय की आबादी के बाहरी छोर पर है गभाना रियासत की आन बान की गवाही देता पुश्तैनी किला। इसी किले में रहते हैं रियासत के उत्तराधिकारी विजयराज सिंह और दीपेंद्र सिंह के परिवार। यहां दोनों ही परिवार के सदस्यों ने संपत्ति विवाद पर तो बातचीत से किनारा किया, लेकिन रियासत के गौरवशाली इतिहास को जरूर साझा किया। उनके मुताबिक मुहम्मद गौरी के आक्रमण बाद जादौन वंश के तिमनगढ़ की हार के बाद इससे जुड़ी रियासतें भी उखड़ती गईं। एक के बाद एक आक्रमण के चलते राजघराने के कई परिवार तिमनगढ़ छोड़ दूसरे राज्यों की शरण में आ गए। उसी दौर में ठाकुर धारंग ने सोमना आकर नई रियासत बनाई और अपना राजकाज शुरू कर दिया। समय के साथ-साथ रियासत का विस्तार भी हुआ। आजादी से पहले ही सोमना रियासत में वीरपुरा और गभाना को भी शामिल कर लिया गया था। अंग्रेजी हुकूमत दौरान रियासत पर काबिज जैराम सिंह के तीन पुत्र चंदन सिंह, हरिराम सिंह और नवलकिशन। इनके बीच रियासत के बंटवारे में गभाना स्टेट चंदन सिंह को दिया गया था, हरिराम सिंह के कोई पुत्र नहीं था लिहाजा नवलकिशन के पुत्र लेखराज सिंह और बलवंत सिंह को सोमना और वीरपुरा की रियासत की कमान सौंप दी गई थी। लगभग 1860 में चंदन सिंह ने यहां पुराने किले के जर्जर होने के चलते नए किले का निर्माण करा दिया।60 गांव की रियासत थी गभाना स्टेट :गभाना स्टेट 60 गांव की बड़ी रियासतों में शामिल थी। आजादी के बाद इसे भी अन्य रियासतों की तरह ही देश का हिस्सा बनाया गया था। किले के साथ ही कुछ संपत्ति पर परिवार ने अपना अधिकार जताया था जिसे सरकार ने स्वीकारते हुए राजपरिवार को सौंप दिया था।.

महाराष्ट्र, झारखंड, गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, यूपी की रियासतों से हैं रिश्ते

गभाना स्टेट के रिश्ते देश के अन्य परिवारों से भी बेहतर हैं। इसमें महाराष्ट्र की नरसिंहगढ़, झारखंड की खीमसार, गुजराज की ईडल, राजस्थान की करौली, यूपी की प्रतापगढ़ स्टेट और हिमाचल की रियासत से पारिवारिक रिश्ते हैं।

आजादी के बाद हो गया था गभाना स्टेट का बंटवारा

गभाना स्टेट अब दो हिस्सो में है। इसे गभाना सीनियर और जूनियर स्टेट कहते हैं। आजादी के बाद इस रियासत को राय बहादुर लक्ष्मीराज सिंह और उनके भाई कैप्टन देवराज सिंह ने इसे बांट लिया था। लक्ष्मीराज सिंह के पुत्र चैतन्य राज सिंह और कैप्टन देवराज सिंह के पुत्र रघुराज सिंह को रिसासत सौंपी गई थी। इसके बाद से ही गभाना स्टेट को सीनियर और जूनियर के नाम से जाना जाने लगा। आजादी से पहले अंग्रेजी हुकुमत ने गभाना स्टेट के लक्ष्मीराज सिंह को राय बहादुर की उपाधि से भी नवाजा था।

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