Pausanias: Attika (Paus.1,1,1-1,5,5) (original) (raw)

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Laureion, die Insel des Patroklos. Peiraieus: Das Grab des Themistokles, Bezirk der Athena und des Zeus. Die Große Halle am Meer, das Heiligtum der Aphrodite, der Tempel der Artemis Munychia. Tempel der Demeter zu Phaleron. Tempel der Athena Skiras und des Zeus. Altäre der Unbekannten Götter und Heroen. Das Vorgebirge Kolias. Tempel der Hera an der Straße von Phaleron nach Athen. | | | [1,1,1] τῆς ἠπείρου τῆς Ἑλληνικῆς κατὰ νήσους τὰς Κυκλάδας καὶ πέλαγος τὸ Αἰγαῖον ἄκρα Σούνιον πρόκειται γῆς τῆς Ἀττικῆς· καὶ λιμήν τε παραπλεύσαντι τὴν ἄκραν ἐστὶ καὶ ναὸς Ἀθηνᾶς Σουνιάδος ἐπὶ κορυφῇ τῆς ἄκρας. πλέοντι δὲ ἐς τὸ πρόσω Λαύριόν τέ ἐστιν, ἔνθα ποτὲ Ἀθηναίοις ἦν ἀργύρου μέταλλα, καὶ νῆσος ἔρημος οὐ μεγάλη Πατρόκλου καλουμένη· τεῖχος γὰρ ᾠκοδομήσατο ἐν αὐτῇ καὶ χάρακα ἐβάλετο Πάτροκλος, ὃς τριήρεσιν ὑπέπλει ναύαρχος Αἰγυπτίαις, ἃς Πτολεμαῖος ὁ <Πτολεμαίου> τοῦ Λάγου τιμωρεῖν ἔστειλεν Ἀθηναίοις, ὅτε σφίσιν Ἀντίγονος ὁ Δημητρίου στρατιᾷ τε αὐτὸς ἐσβεβληκὼς ἔφθειρε τὴν χώραν καὶ ναυσὶν ἅμα ἐκ θαλάσσης κατεῖργεν. | 1,1,1 Die äußerste Spitze des griechischen Festlandes nach den Kykladischen Inseln und dem Ägäischen Meer hin bildet das Vorgebirge Sunion in Attika; segelt man an dem Vorgebirge hin, so trifft man einen Hafen, und einen Tempel der Athena Sunias auf dem Gipfel des Vorgebirges. Segelt man weiter, so kommt man nach Laurion, wo die Athener einst Silberbergwerke hatten, und zu einer unbewohnten, nicht großen Insel, die Patroklos-Insel genannt wird; denn auf ihr hatte Patroklos eine Burg und einen Wall erbaut, da er als an Führer ägyptischer Schiffe heransegelte, die Ptolemaios, der Sohn des Lagu, den Athenern zu Hilfe schickte, als Antigonos, der Sohn des Demetrios, selbst mit einem Heer in das Land gefallen war, es verwüstete und sie zugleich von der Seeseite her durch seine Flotte absperrte. | | Attika | | | [1,1,2] ὁ δὲ Πειραιεὺς δῆμος μὲν ἦν ἐκ παλαιοῦ, πρότερον δὲ πρὶν ἢ Θεμιστοκλῆς Ἀθηναίοις ἦρξεν ἐπίνειον οὐκ ἦν· Φαληρὸν δέ - ταύτῃ γὰρ ἐλάχιστον ἀπέχει τῆς πόλεως ἡ θάλασσα -, τοῦτό σφισιν ἐπίνειον ἦν, καὶ Μενεσθέα φασὶν αὐτόθεν ταῖς ναυσὶν ἐς Τροίαν ἀναχθῆναι καὶ τούτου πρότερον Θησέα δώσοντα Μίνῳ δίκας τῆς Ἀνδρόγεω τελευτῆς. Θεμιστοκλῆς δὲ ὡς ἦρξε - τοῖς τε γὰρ πλέουσιν ἐπιτηδειότερος ὁ Πειραιεὺς ἐφαίνετό οἱ προκεῖσθαι καὶ λιμένας τρεῖς ἀνθ' ἑνὸς ἔχειν τοῦ Φαληροῖ - τοῦτό σφισιν ἐπίνειον εἶναι κατεσκευάσατο· καὶ νεὼς καὶ ἐς ἐμὲ ἦσαν οἶκοι καὶ πρὸς τῷ μεγίστῳ λιμένι τάφος Θεμιστοκλέους. φασὶ γὰρ μεταμελῆσαι τῶν ἐς Θεμιστοκλέα Ἀθηναίοις καὶ ὡς οἱ προσήκοντες τὰ ὀστᾶ κομίσαιεν ἐκ Μαγνησίας ἀνελόντες· φαίνονται δὲ οἱ παῖδες οἱ Θεμιστοκλέους καὶ κατελθόντες καὶ γραφὴν ἐς τὸν Παρθενῶνα ἀναθέντες, ἐν ᾗ Θεμιστοκλῆς ἐστι γεγραμμένος. | 1,1,2 Der Peiraieus war zwar von Alters her ein Demos; doch vor dem Archontat des Themistokles war es kein Ankerplatz, vielmehr diente ihnen Phaleron als Ankerplatz, wo die Entfernung zwischen der Stadt und dem Meer am geringsten ist; von hier aus soll auch Menestheus nach Troia, und vor ihm Theseus ausgefahren sein, als er dem Minos für den Tod des Androgeos Sühne geben wollte. Als aber Themistokles Archon war, richtete er den Peiraieus als Hafenstadt ein, weil dieser augenscheinlich den Seefahrern bequemer lag und es vorteilhafter war, drei Häfen zu haben statt des einen in Phaleron. Noch zu meiner Zeit sah man hier Schiffswerften und am größten Hafen das Grab des Themistokles; denn sie erzählen, die Athener hätten ihr Vorgehen gegen Themistokles bereut, und seine Angehörigen die Gebeine aus Magnesia hierher gebracht. So viel ist sicher, dass die Söhne des Themistokles zurückgekehrt sind und in dem Parthenon ein Gemälde gestiftet haben, auf dem Themistokles dargestellt ist. | | [1,1,3] θέας δὲ ἄξιον τῶν ἐν Πειραιεῖ μάλιστα Ἀθηνᾶς ἐστι καὶ Διὸς τέμενος· χαλκοῦ μὲν ἀμφότερα τὰ ἀγάλματα, ἔχει δὲ ὁ μὲν σκῆπτρον καὶ Νίκην, ἡ δὲ Ἀθηνᾶ δόρυ. ἐνταῦθα Λεωσθένην, ὃς Ἀθηναίοις καὶ τοῖς πᾶσιν Ἕλλησιν ἡγούμενος Μακεδόνας ἔν τε Βοιωτοῖς ἐκράτησε μάχῃ καὶ αὖθις ἔξω Θερμοπυλῶν καὶ βιασάμενος ἐς Λάμιαν κατέκλεισε τὴν ἀπαντικρὺ τῆς Οἴτης, τοῦτον τὸν Λεωσθένην καὶ τοὺς παῖδας ἔγραψεν Ἀρκεσίλαος. ἔστι δὲ τῆς στοᾶς τῆς μακρᾶς, ἔνθα καθέστηκεν ἀγορὰ τοῖς ἐπὶ θαλάσσης - καὶ γὰρ τοῖς ἀπωτέρω τοῦ λιμένος ἐστὶν ἑτέρα -, τῆς δὲ ἐπὶ θαλάσσης στοᾶς ὄπισθεν ἑστᾶσι Ζεὺς καὶ Δῆμος, Λεωχάρους ἔργον. πρὸς δὲ τῇ θαλάσσῃ Κόνων ᾠκοδόμησεν Ἀφροδίτης ἱερόν, τριήρεις Λακεδαιμονίων κατεργασάμενος περὶ Κνίδον τὴν ἐν τῇ Καρικῇ χερρονήσῳ. Κνίδιοι γὰρ τιμῶσιν Ἀφροδίτην μάλιστα, καί σφισιν ἔστιν ἱερὰ τῆς θεοῦ· τὸ μὲν γὰρ ἀρχαιότατον Δωρίτιδος, μετὰ δὲ τὸ Ἀκραίας, νεώτατον δέ, ἣν Κνιδίαν οἱ πολλοί, Κνίδιοι δὲ αὐτοὶ καλοῦσιν Εὔπλοιαν. | 1,1,3 Zu den Sehenswürdigkeiten im Peiraieus gehört hauptsächlich ein heiliger Bezirk der Athena und des Zeus; beide Götterbilder sind von Erz; er hält ein Szepter und eine Nike, die Athena eine Lanze. Dort hat auch Arkesilaos den Leosthenes mit seinen Söhnen gemalt; dieser Leosthenes hatte als Feldherr der Athener und sämtlicher Griechen die Makedonen erst in Boiotien, dann außerhalb der Thermopylen geschlagen, und sie nach Lamia jenseits des Oita gedrängt und dort eingeschlossen. Hinter der langen Halle, wo die Anwohner des Meeres ihren Markt haben - denn die entfernter vom Hafen Wohnenden haben einen anderen -, hinter dieser Halle am Meer also steht Zeus und Demos, eine Arbeit des Leochares. Am Meer hat Konon, nach seinem Seesieg über die Lakedaimonier bei Knidos auf der Karischen Halbinsel der Aphrodite einen Tempel gebaut; denn die Knidier verehren vorzugsweise die Aphrodite, und sie haben drei Tempel dieser Göttin; der älteste ist der der Aphrodite Doritis, dann der der Akraia, der neueste der Aphrodite, die gewöhnlich die knidische, von den Knidiern selbst aber Euploia genannt wird. | | Athen | | | [1,1,4] ἔστι δὲ καὶ ἄλλος Ἀθηναίοις ὁ μὲν ἐπὶ Μουνυχίᾳ λιμὴν καὶ Μουνυχίας ναὸς Ἀρτέμιδος, ὁ δὲ ἐπὶ Φαληρῷ, καθὰ καὶ πρότερον εἴρηταί μοι, καὶ πρὸς αὐτῷ Δήμητρος ἱερόν. ἐνταῦθα καὶ Σκιράδος Ἀθηνᾶς ναός ἐστι καὶ Διὸς ἀπωτέρω, βωμοὶ δὲ θεῶν τε ὀνομαζομένων Ἀγνώστων καὶ ἡρώων καὶ παίδων τῶν Θησέως καὶ Φαληροῦ· τοῦτον γὰρ τὸν Φαληρὸν Ἀθηναῖοι πλεῦσαι μετὰ Ἰάσονός φασιν ἐς Κόλχους. ἔστι δὲ καὶ Ἀνδρόγεω βωμὸς τοῦ Μίνω, καλεῖται δὲ Ἥρωος· Ἀνδρόγεω δὲ ὄντα ἴσασιν, οἷς ἐστιν ἐπιμελὲς τὰ ἐγχώρια σαφέστερον ἄλλων ἐπίστασθαι. | 1,1,4 Die Athener hatten noch einen anderen Hafen, den bei Munychia, mit einem Tempel der Artemis Munychia; und, wie schon oben gesagt, den zu Phaleron und an ihm ein Heiligtum der Demeter; dort befindet sich auch ein Tempel der Athena Skiras und weiterhin des Zeus, ferner Altäre der Götter und Heroen mit dem Beinamen der Unbekannten, der Söhne des Theseus, und endlich des Phaleros. Dieser Phaleros ist nach der Sage der Athener mit Iason nach Kolchis gesegelt. Es befindet sich dort auch ein Altar des Androgeos, des Sohnes des Minos; man nennt ihn zwar den Altar des Heros; diejenigen aber, die die Landesgeschichte genauer als andere zu erforschen suchen, wissen, dass er dem Androgeos geweiht ist. | | [1,1,5] ἀπέχει δὲ σταδίους εἴκοσιν ἄκρα Κωλιάς· ἐς ταύτην φθαρέντος τοῦ ναυτικοῦ τοῦ Μήδων κατήνεγκεν ὁ κλύδων τὰ ναυάγια. Κωλιάδος δέ ἐστιν ἐνταῦθα Ἀφροδίτης ἄγαλμα καὶ Γενετυλλίδες ὀνομαζόμεναι θεαί· δοκῶ δὲ καὶ Φωκαεῦσι τοῖς ἐν Ἰωνίᾳ θεάς, ἃς καλοῦσι Γενναΐδας, εἶναι ταῖς ἐπὶ Κωλιάδι τὰς αὐτάς. - ἔστι δὲ κατὰ τὴν ὁδὸν τὴν ἐς Ἀθήνας ἐκ Φαληροῦ ναὸς Ἥρας οὔτε θύρας ἔχων οὔτε ὄροφον· Μαρδόνιόν φασιν αὐτὸν ἐμπρῆσαι τὸν Γωβρύου. τὸ δὲ ἄγαλμα τὸ νῦν δή, καθὰ λέγουσιν, Ἀλκαμένους ἐστὶν ἔργον· οὐκ ἂν τοῦτό γε ὁ Μῆδος εἴη λελωβημένος. | 1,1,5 Zwanzig Stadien entfernt ist das Vorgebirge Kolias; hierher trugen die Wellen die Trümmer der zerstörten medischen Flotte. Dort befindet sich eine Bildsäule der Aphrodite Kolias und der Göttinnen, die man Genetyllides nennt. Ich vermute, dass die von den Phokaiern in Ionien Gennaïdes genannten Göttinnen und die auf dem Vorgebirge Kolias identisch sind. Am Weg aus dem Phaleron nach Athen ist ein Tempel der Hera, der weder Türen noch Dach hat; Mardonios, des Gobryas Sohn, soll ihn verbrannt haben. Das Bild, das jetzt darin steht, soll ein Werk des Alkamenes sein; ein solches würde freilich der Meder nicht beschädigt haben. | | Kap.2: Denkmäler der Amazonen Antiope und Molpadia. An der Straße vom Peiraieus nach Athen: Überreste der Langen Mauern des Konon, Grab des Menander und Kenotaph des Euripides. Pompeion. Tempel der Demeter. Hallen an der Straße vom Dipylon zur Agora. Gymnasion des Hermes. Haus des Pulytion, bzw. Bezirk des Dionysos Melpomenos. Bildsäulen der Athena Paionia, des Zeus, der Mnemosyne und der Musen. Bildsäule des Apollon, Werk und Weihegabe des Bildhauers Eubulides. Mythische Könige von Athen: Aktaios, Kekrops, Erysichthon, Kranaos, Amphiktyon, Erichthonios. | | | [1,2,1] ἐσελθόντων δὲ ἐς τὴν πόλιν ἐστὶν Ἀντιόπης μνῆμα Ἀμαζόνος. ταύτην τὴν Ἀντιόπην Πίνδαρος μέν φησιν ὑπὸ Πειρίθου καὶ Θησέως ἁρπασθῆναι, Τροιζηνίῳ δὲ Ἡγίᾳ τοιάδε ἐς αὐτὴν πεποίηται· Ἡρακλέα Θεμίσκυραν πολιορκοῦντα τὴν ἐπὶ Θερμώδοντι ἑλεῖν μὴ δύνασθαι, Θησέως δὲ ἐρασθεῖσαν Ἀντιόπην - στρατεῦσαι γὰρ ἅμα Ἡρακλεῖ καὶ Θησέα -παραδοῦναι [τε] τὸ χωρίον. τάδε μὲν Ἡγίας πεποίηκεν· Ἀθηναῖοι δέ φασιν, ἐπεί τε ἦλθον Ἀμαζόνες, Ἀντιόπην μὲν ὑπὸ Μολπαδίας τοξευθῆναι, Μολπαδίαν δὲ ἀποθανεῖν ὑπὸ Θησέως. καὶ μνῆμά ἐστι καὶ Μολπαδίας Ἀθηναίοις. | 1,2, 1 Bei dem Eintritt in die Stadt ist das Grabmal der Amazone Antiope. Pindar sagt, diese Antiope sei von Peirithoos und Theseus geraubt worden; Hegias aber, ein troizenischer Dichter, erzählt Folgendes von ihr: als Herakles Themiskyra am Thermodon belagerte, habe er es nicht erobern können; Antiope aber, die in den Theseus verliebt gewesen sei - denn dieser sei mit dem Herakles ausgezogen - habe die Stadt übergeben. So erzählt Hegias; die Athener dagegen sagen, als die Amazonen nach Attika gekommen seien, sei die Antiope von der Molpadia erschossen, die Molpadia aber von Theseus getötet worden; und es haben die Athener auch ein Grabmal der Molpadia. | | [1,2,2] ἀνιόντων δὲ ἐκ Πειραιῶς ἐρείπια τῶν τειχῶν ἐστιν, ἃ Κόνων ὕστερον τῆς πρὸς Κνίδῳ ναυμαχίας ἀνέστησε· τὰ γὰρ Θεμιστοκλέους μετὰ τὴν ἀναχώρησιν οἰκοδομηθέντα τὴν Μήδων ἐπὶ τῆς ἀρχῆς καθῃρέθη τῶν τριάκοντα ὀνομαζομένων. εἰσὶ δὲ τάφοι κατὰ τὴν ὁδὸν γνωριμώτατοι Μενάνδρου τοῦ Διοπείθους καὶ μνῆμα Εὐριπίδου κενόν· τέθαπται δὲ Εὐριπίδης ἐν Μακεδονίᾳ παρὰ τὸν βασιλέα ἐλθὼν Ἀρχέλαον, ὁ δέ οἱ τοῦ θανάτου τρόπος -πολλοῖς γάρ ἐστιν εἰρημένος - ἐχέτω καθὰ λέγουσιν. | 1,2,2 Geht man von Peiraieus zur Stadt hinauf, so sieht man die Trümmer der Mauern, die Konon nach der Seeschlacht bei Knidos baute; denn die Mauern, die Themistokles nach dem Abzug der Meder gebaut hatte, wurden unter der Herrschaft der sogenannten Dreißig niedergerissen. An dem Weg sind Gräber, die berühmtesten das des Menander, des Sohnes des Diopeithes, und ein leeres Grabmal des Euripides; denn begraben ist Euripides in Makedonien, wohin er zum Besuch des Königs Archelaos gegangen war; die Art seines Todes, denn viele haben darüber gesprochen, mag sich so verhalten, wie sie es erzählen. | | [1,2,3] συνῆσαν δὲ ἄρα καὶ τότε τοῖς βασιλεῦσι ποιηταὶ καὶ πρότερον ἔτι καὶ Πολυκράτει Σάμου τυραννοῦντι Ἀνακρέων παρῆν καὶ ἐς Συρακούσας πρὸς Ἱέρωνα Αἰσχύλος καὶ Σιμωνίδης ἐστάλησαν· Διονυσίῳ δέ, ὃς ὕστερον ἐτυράννησεν ἐν Σικελίᾳ, Φιλόξενος παρῆν καὶ Ἀντιγόνῳ Μακεδόνων ἄρχοντι Ἀνταγόρας Ῥόδιος καὶ Σολεὺς Ἄρατος. Ἡσίοδος δὲ καὶ Ὅμηρος ἢ συγγενέσθαι βασιλεῦσιν ἠτύχησαν ἢ καὶ ἑκόντες ὠλιγώρησαν, ὁ μὲν ἀγροικίᾳ καὶ ὄκνῳ πλάνης, Ὅμηρος δὲ ἀποδημήσας ἐπὶ μακρότατον καὶ τὴν ὠφέλειαν <τὴν> ἐς χρήματα παρὰ τῶν δυνατῶν ὑστέραν θέμενος τῆς παρὰ τοῖς πολλοῖς δόξης, ἐπεὶ καὶ Ὁμήρῳ πεποιημένα ἐστὶν Ἀλκίνῳ παρεῖναι Δημόδοκον καὶ ὡς Ἀγαμέμνων καταλείποι τινὰ παρὰ τῇ γυναικὶ ποιητήν. - ἔστι δὲ τάφος οὐ πόρρω τῶν πυλῶν, ἐπίθημα ἔχων στρατιώτην ἵππῳ παρεστηκότα· ὅντινα μέν, οὐκ οἶδα, Πραξιτέλης δὲ καὶ τὸν ἵππον καὶ τὸν στρατιώτην ἐποίησεν. | 1,2,3 Es waren also damals, ebenso wie früher, Dichter in der Umgebung von Königen; bei Polykrates, dem Tyrannen von Samos, lebte Anakreon; Aischylos und Simonides waren nach Syrakus zu Hieron gereist; bei Dionysios, der später Tyrann in Sizilien war, lebte Philoxenos, bei Antigonos, dem König von Makedonien, der Rodier Antagoras und Aratos aus Soloi. Hesiod und Homer aber hatten entweder keine Gelegenheit, mit Königen umzugehen, oder sie verschmähten es absichtlich: der eine aus Liebe zum Landleben und aus Unlust am Reisen, Homer, weil er die längste Zeit abwesend war und den Ruhm bei dem Volk dem Gelderwerb bei den Mächtigen vorzog. Übrigens sagt ja Homer in seinen Gesängen, dass Demodokos bei Alkinoos lebte, und dass Agamemnon einen Sänger bei seinem Weib zurückließ. Nicht weit vom Tor ist ein Grab, das als Denkmal einen Krieger hat, der neben seinem Pferd steht; wen es vorstellt, weiß ich nicht; Ross und Krieger aber hat Praxiteles gemacht. | | [1,2,4] ἐσελθόντων δὲ ἐς τὴν πόλιν οἰκοδόμημα ἐς παρασκευήν ἐστι τῶν πομπῶν, ἃς πέμπουσι τὰς μὲν ἀνὰ πᾶν ἔτος, τὰς δὲ καὶ χρόνον διαλείποντες. καὶ πλησίον ναός ἐστι Δήμητρος, ἀγάλματα δὲ αὐτή τε καὶ ἡ παῖς καὶ δᾷδα ἔχων Ἴακχος· γέγραπται δὲ ἐπὶ τῷ τοίχῳ γράμμασιν Ἀττικοῖς ἔργα εἶναι Πραξιτέλους. τοῦ ναοῦ δὲ οὐ πόρρω Ποσειδῶν ἐστιν ἐφ' ἵππου, δόρυ ἀφιεὶς ἐπὶ γίγαντα Πολυβώτην, ἐς ὃν Κῴοις ὁ μῦθος <ὁ> περὶ τῆς ἄκρας ἔχει τῆς Χελώνης· τὸ δὲ ἐπίγραμμα τὸ ἐφ' ἡμῶν τὴν εἰκόνα ἄλλῳ δίδωσι καὶ οὐ Ποσειδῶνι. στοαὶ δέ εἰσιν ἀπὸ τῶν πυλῶν ἐς τὸν Κεραμεικὸν καὶ εἰκόνες πρὸ αὐτῶν χαλκαῖ καὶ γυναικῶν καὶ ἀνδρῶν, ὅσοις τι ὑπῆρχεν [ὧν τις λόγος] ἐς δόξαν. | 1,2,4 Tritt man nun in die Stadt, so ist dort ein Gebäude für die Vorbereitung zu den Festzügen, die sie alljährlich oder in gewissen Zwischenräumen aufführen. Nahe dabei ist ein Tempel der Demeter und als Bilder sie selbst, ihre Tochter und mit einer Fackel in der Hand Iakchos; an der Wand steht mit attischen Buchstaben geschrieben, dass es Werke des Praxiteles sind. Nicht weit von dem Tempel ist Poseidon zu Pferd, der die Lanze auf den Giganten Polybotes schleudert, auf den sich eine koische Sage über das Vorgebirge Chelone bezieht. Die jetzige Aufschrift legt die Bildsäule einem anderen, nicht dem Poseidon bei. Von dem Tor laufen Hallen nach dem Kerameikos hin; vor ihnen stehen eherne Bildsäulen von Männern und Frauen, die sich durch irgendetwas berühmt gemacht haben. | | [1,2,5] ἡ δὲ ἑτέρα τῶν στοῶν ἔχει μὲν ἱερὰ θεῶν, ἔχει δὲ γυμνάσιον Ἑρμοῦ καλούμενον· ἔστι δὲ ἐν αὐτῇ Πουλυτίωνος οἰκία, καθ' ἣν παρὰ τὴν ἐν Ἐλευσῖνι δρᾶσαι τελετὴν Ἀθηναίων φασὶν οὐ τοὺς ἀφανεστάτους· ἐπ' ἐμοῦ δὲ ἀνεῖτο Διονύσῳ. Διόνυσον δὲ τοῦτον καλοῦσι Μελπόμενον ἐπὶ λόγῳ τοιῷδε ἐφ' ὁποίῳ περ Ἀπόλλωνα Μουσηγέτην. ἐνταῦθά ἐστιν Ἀθηνᾶς ἄγαλμα Παιωνίας καὶ Διὸς καὶ Μνημοσύνης καὶ Μουσῶν, Ἀπόλλων τε ἀνάθημα καὶ ἔργον Εὐβουλίδου, καὶ δαίμων τῶν ἀμφὶ Διόνυσον Ἄκρατος· πρόσωπόν ἐστίν οἱ μόνον ἐνῳκοδομημένον τοίχῳ. μετὰ δὲ τὸ τοῦ Διονύσου τέμενός ἐστιν οἴκημα ἀγάλματα ἔχον ἐκ πηλοῦ, βασιλεὺς Ἀθηναίων Ἀμφικτύων ἄλλους τε θεοὺς ἑστιῶν καὶ Διόνυσον. ἐνταῦθα καὶ Πήγασός ἐστιν Ἐλευθερεύς, ὃς Ἀθηναίοις <τὸν> θεὸν ἐσήγαγε· συνεπελάβετο δέ οἱ τὸ ἐν Δελφοῖς μαντεῖον ἀναμνῆσαν τὴν ἐπὶ Ἰκαρίου ποτὲ ἐπιδημίαν τοῦ θεοῦ. | 1,2,5 Eine dieser Hallen schließt Heiligtümer der Götter und ein nach dem Hermes benanntes Gymnasion in sich; auch befindet sich in ihr das Haus des Pulytion, in dem nicht die unbedeutendsten Athener die Eleusinischen Mysterien zum Spott nachgeahmt haben sollen; zu meiner Zeit war es dem Dionysos geweiht. Diesen Dionysos nennen sie Melpomenos aus dem selben Grund, aus dem Apollon Musegetes heißt. Dort ist eine Bildsäule der Athena Paionia, des Zeus, der Mnemosyne und der Musen, ebenso ein Apollon, ein Weihegeschenk und Werk des Eubulides, und Akratos, ein Daimon aus der Umgebung des Dionysos; dieser ist nur eine in die Wand eingemauerte Maske. Nach diesem Heiligtum des Dionysos ist eine Kapelle mit Bildsäulen aus Ton. Es ist dort der athenische König Amphiktyon, der unter anderen Göttern auch den Dionysos bewirtet; ferner ist da Pegasos aus Eleutherai, der diesen Gott bei den Athenern eingeführt hat, wobei ihn das delphische Orakel unterstützte, indem es den Besuch des Gottes schon unter Ikarios in Erinnerung brachte. | | Attische Könige | | | [1,2,6] τὴν δὲ βασιλείαν Ἀμφικτύων ἔσχεν οὕτως. Ἀκταῖον λέγουσιν ἐν τῇ νῦν Ἀττικῇ βασιλεῦσαι πρῶτον· ἀποθανόντος δὲ Ἀκταίου Κέκροψ ἐκδέχεται τὴν ἀρχὴν θυγατρὶ συνοικῶν Ἀκταίου, καί οἱ γίνονται θυγατέρες μὲν Ἕρση καὶ Ἄγλαυρος καὶ Πάνδροσος, υἱὸς δὲ Ἐρυσίχθων· οὗτος οὐκ ἐβασίλευσεν Ἀθηναίων, ἀλλά οἱ τοῦ πατρὸς ζῶντος τελευτῆσαι συνέβη, καὶ τὴν ἀρχὴν τὴν Κέκροπος Κραναὸς ἐξεδέξατο, Ἀθηναίων δυνάμει προύχων. Κραναῷ δὲ θυγατέρας καὶ ἄλλας καὶ Ἀτθίδα γενέσθαι λέγουσιν· ἀπὸ ταύτης ὀνομάζουσιν Ἀττικὴν τὴν χώραν, πρότερον καλουμένην Ἀκταίαν. Κραναῷ δὲ Ἀμφικτύων ἐπαναστάς, θυγατέρα ὅμως ἔχων αὐτοῦ, παύει τῆς ἀρχῆς· καὶ αὐτὸς ὕστερον ὑπὸ Ἐριχθονίου καὶ τῶν συνεπαναστάντων ἐκπίπτει· πατέρα δὲ Ἐριχθονίῳ λέγουσιν ἀνθρώπων μὲν οὐδένα εἶναι, γονέας δὲ Ἥφαιστον καὶ Γῆν. | 1,2,6 Zur Herrschaft kam Amphiktyon auf folgende Art: Aktaios soll der erste König im jetzigen Attika gewesen sein; nach seinem Tod folgte ihm in der Herrschaft Kekrops, der mit der Tochter des Aktaios vermählt war; er hatte drei Töchter, Herse, Aglauros und Pandrosos, und einen Sohn Erysichthon. Dieser wurde nicht König der Athener, sondern starb noch bei Lebzeiten seines Vaters; die Herrschaft des Kekrops aber ging auf den Kranaos über, der unter den Athenern die größte Macht hatte. Kranaos soll unter anderen Töchtern die Atthis gehabt haben; von ihr nennen sie das Land Attika, das früher Aktaia geheißen hatte. Gegen den Kranaos erhob sich, obgleich er eine Tochter von ihm zur Frau hatte, Amphiktyon, und beraubte ihn der Regierung; er selbst wurde später von Erichthonios und seinen Parteigenossen vertrieben. Erichthonios soll keinen Menschen zum Vater gehabt haben, sondern als seine Eltern nennt man den Hephaistos und die Ge. | | Kap.3: Kerameikos und Agora von Athen. Stoa Basileios (Königshalle). Standbilder des Konon, TimotheosEuagoras, Hadrianos, Zeus Eleutherios. Die Stoa Poikile (Bunte Halle) mit ihren Gemälden. Tempel und Standbild des Apollon Patroos, die beiden Standbilder vor dem Tempel. Tempel der Göttermutter und ihr Standbild von Pheidias. Das Buleuterion (Rathaus der 500) und seine Bildwerke. | | | [1,3,1] τὸ δὲ χωρίον ὁ Κεραμεικὸς τὸ μὲν ὄνομα ἔχει ἀπὸ ἥρωος Κεράμου, Διονύσου τε εἶναι καὶ Ἀριάδνης καὶ τούτου λεγομένου· πρώτη δέ ἐστιν ἐν δεξιᾷ <ἡ> καλουμένη στοὰ βασίλειος, ἔνθα καθίζει βασιλεὺς ἐνιαυσίαν ἄρχων ἀρχὴν καλουμένην βασιλείαν. ταύτης ἔπεστι τῷ κεράμῳ τῆς στοᾶς ἀγάλματα ὀπτῆς γῆς, ἀφιεὶς Θησεὺς ἐς θάλασσαν Σκίρωνα καὶ φέρουσα Ἡμέρα Κέφαλον, ὃν κάλλιστον γενόμενόν φασιν ὑπὸ Ἡμέρας ἐρασθείσης ἁρπασθῆναι· καί οἱ παῖδα γενέσθαι Φαέθοντα, <ὃν ὕστερον ἡ Ἀφροδίτη ἥρπασε> καὶ φύλακα ἐποίησε τοῦ ναοῦ. ταῦτα ἄλλοι τε καὶ Ἡσίοδος εἴρηκεν ἐν ἔπεσι τοῖς ἐς τὰς γυναῖκας. | 1,3,1 Der Platz Kerameikos hatte seinen Namen von dem Heros Keramos, der auch für einen Sohn des Dionysios und der Ariadne ausgegeben wird. Zuerst ist rechts die sogenannte Königshalle, wo der König zu Gericht sitzt, das heißt der Archon, der je ein Jahr lang das so genannte Königsamt verwaltet. Auf dem Ziegeldach dieser Halle stehen Bilder von gebranntem Ton: Theseus, der den Skeiron in das Meer schleudert, und Hemera, die den Kephalos trägt; in diesen als den schönsten Menschen soll sich Hemera verliebt und ihn entführt haben; und ihr Sohn soll Phaethon gewesen sein <den später Aphrodite entführte> und zum Wächter ihres Tempels machte. So erzählt unter anderen auch Hesiod in seinem Gedicht auf die Frauen. | | Lageplan des Kermeikos Südstraße Weststraße Philoxenos Pamphile u. Demetria; Dorkas v. Sikyon Hegetor Hieronymos Makareos Lysanias aus Thorikos Agathon u. Sosikrates (Korallion) Dionysios Lysimachides Tephisodaros Nikostrates Eubios v. Patmos Bion (Säule) Koroibos (Hegeso) Samakion, Menes Hipparete Phanokles, Philokrates Tritopatreis-Bezirk Antidosis (Stele) Astromache Olympichos Eukolyne Pythagoras Thersandros, Simylos Heilige Straße Mauer des Themistokles Mauer des Lykurg (zerstört) Das Heilige Tor Dipylon Altar (Hermes) Pompeion Akademie-Straße Schwitzbad Grab der Lakedaimonier Staatsgrab (um 350) nach: R. Speich: Südgriechenland I, Stuttgart (Kohlhammer) 1978, S. 117 | | | [1,3,2] πλησίον δὲ τῆς στοᾶς Κόνων ἕστηκε καὶ Τιμόθεος, υἱὸς Κόνωνος, καὶ βασιλεὺς Κυπρίων Εὐαγόρας, ὃς καὶ τὰς τριήρεις τὰς Φοινίσσας ἔπραξε παρὰ βασιλέως Ἀρταξέρξου δοθῆναι Κόνωνι· ἔπραξε δὲ ὡς Ἀθηναῖος καὶ τὸ ἀνέκαθεν ἐκ Σαλαμῖνος, ἐπεὶ καὶ γενεαλογῶν ἐς προγόνους ἀνέβαινε Τεῦκρον καὶ Κινύρου θυγατέρα. ἐνταῦθα ἕστηκε Ζεὺς ὀνομαζόμενος Ἐλευθέριος καὶ βασιλεὺς Ἀδριανός, ἐς ἄλλους τε, ὧν ἦρχεν, εὐεργεσίας καὶ ἐς τὴν πόλιν μάλιστα ἀποδειξάμενος τὴν Ἀθηναίων. | 1,3,2 Nahe an der Halle steht Konon und Timotheos, des Konons Sohn, und der König der Kyprier, Euagoras, der es bewirkte, dass die phönizischen Trieren vom König Artaxerxes dem Konon anvertraut wurden; er bewirkte es aber als Athener und ursprünglich aus Salamis stammend; denn er führte die Reihe seiner Ahnen auf den Teukros und die Tochter des Kinyras zurück. Dort steht auch Zeus mit dem Beinamen Eleutherios und der Kaiser Hadrianos, der sich überhaupt seinen Untertanen, ganz vorzüglich aber der Stadt der Athener wohltätig erwies. | | Agora-Grundriss Hephaisteion (Theseion) Hellenist. Gebäude (Arsenal) Tempel der Aphrodite Urania Heiligtum des Demos und der Chariten Stoa des Zeus Eleutherios Tempel des Apollon Patroos Metroon Neues Bouleuterion Tholos Strategeion (?) Latrine Zum Piräus-Tor Dreiseitiges Heiligtum Südwest-Brunnenhaus Heliaia Süd-Stoa II West-Tempel Ost-Tempel Mittel-Stoa Nymphaion (Nymphaeum) Enneakrounos (Südost-Brunnenhaus) Panathenäenstraße Südost-Tempel Pantainos-Bibliothek Südost-Stoa Latrine Attalos-Stoa Bema (Rednertribüne) Odeion des Agrippa Südwest-Tempel Denkmal der Eponymen Heroen Altar des Zeus Agoraios Ares-Tempel Denkmal der Tyrannenmörder (?) Zwölf-Götter-Altar Quelle (Leokoreion) Stoa Basileios (Königshalle) Zum Heiligen Tor Zum Dipylontor Hermen-Stoa Stoa Poikile Hippomachia-Tor Nordost-Stoa Basilika Monopteros (Rundes Brunnenhaus) Gefängnis | | | [1,3,3] στοὰ δὲ ὄπισθεν ᾠκοδόμηται γραφὰς ἔχουσα θεοὺς <τοὺς> δώδεκα καλουμένους· ἐπὶ δὲ τῷ τοίχῳ τῷ πέραν Θησεύς ἐστι γεγραμμένος καὶ Δημοκρατία τε καὶ Δῆμος. δηλοῖ δὲ ἡ γραφὴ Θησέα εἶναι τὸν καταστήσαντα Ἀθηναίοις ἐξ ἴσου πολιτεύεσθαι· κεχώρηκε δὲ φήμη καὶ ἄλλως ἐς τοὺς πολλούς, ὡς Θησεὺς παραδοίη τὰ πράγματα τῷ δήμῳ καὶ ὡς ἐξ ἐκείνου δημοκρατούμενοι διαμείναιεν, πρὶν ἢ Πεισίστρατος ἐτυράννησεν ἐπαναστάς. λέγεται μὲν δὴ καὶ ἄλλα οὐκ ἀληθῆ παρὰ τοῖς πολλοῖς οἷα ἱστορίας ἀνηκόοις οὖσι καὶ ὁπόσα ἤκουον εὐθὺς ἐκ παίδων ἔν τε χοροῖς καὶ τραγῳδίαις πιστὰ ἡγουμένοις, λέγεται δὲ καὶ ἐς τὸν Θησέα, ὃς αὐτός τε ἐβασίλευσε καὶ ὕστερον Μενεσθέως τελευτήσαντος καὶ ἐς τετάρτην οἱ Θησεῖδαι γενεὰν διέμειναν ἄρχοντες. εἰ δέ μοι γενεαλογεῖν ἤρεσκε, καὶ τοὺς ἀπὸ Μελάνθου βασιλεύσαντας ἐς Κλείδικον τὸν Αἰσιμίδου καὶ τούτους ἂν ἀπηριθμησάμην. | 1,3,3 Dahinter ist eine Halle gebaut, die Gemälde enthält, die sogenannten Zwölf Götter; auf der gegenüberliegenden Wand ist Theseus gemalt und die Demokratia und der Demos; das Gemälde soll andeuten, dass Theseus eine Verfassung mit gleichem Recht für alle Bürger eingeführt habe. Es hat sich auch sonst die Sage im Volk verbreitet, dass Theseus die Gewalt in die Hände des Volkes gelegt habe, und dass von der Zeit an die Verfassung demokratisch geblieben sei, bis Peisistratos sich zum Tyrannen aufwarf. Es wird auch noch manches andere Unwahre vom Volk erzählt, weil es die Geschichte nicht kennt und alles für wahr hält, was es von Kind auf in den Chören und Tragödien hört; und so erzählt es auch von Theseus, er sei nicht allein selbst König gewesen, sondern nach des Menestheus Tod hätten die Thesiden bis zur vierten Generation ununterbrochen die Herrschaft behalten. Wenn ich Lust hätte, Stammbäume aufzustellen, so könnte ich auch die aufzählen, die von Melanthos bis auf den Kleidikos, den Sohn des Aisimides, Könige gewesen sind. | | [1,3,4] ἐνταῦθά ἐστι γεγραμμένον καὶ τὸ περὶ Μαντίνειαν Ἀθηναίων ἔργον, οἳ βοηθήσοντες Λακεδαιμονίοις ἐπέμφθησαν. συνέγραψαν δὲ ἄλλοι τε καὶ Ξενοφῶν τὸν πάντα πόλεμον, κατάληψίν τε τῆς Καδμείας καὶ τὸ πταῖσμα Λακεδαιμονίων <τὸ> ἐν Λεύκτροις καὶ ὡς ἐς Πελοπόννησον ἐσέβαλον Βοιωτοὶ καὶ τὴν συμμαχίαν Λακεδαιμονίοις τὴν παρ' Ἀθηναίων ἐλθοῦσαν· ἐν δὲ τῇ γραφῇ τῶν ἱππέων ἐστὶ μάχη, ἐν ᾗ γνωριμώτατοι Γρύλος τε ὁ Ξενοφῶντος ἐν τοῖς Ἀθηναίοις καὶ κατὰ τὴν ἵππον τὴν Βοιωτίαν Ἐπαμινώνδας ὁ Θηβαῖος. ταύτας τὰς γραφὰς Εὐφράνωρ ἔγραψεν Ἀθηναίοις καὶ πλησίον ἐποίησεν ἐν τῷ ναῷ τὸν Ἀπόλλωνα Πατρῷον ἐπίκλησιν· πρὸ δὲ τοῦ νεὼ τὸν μὲν Λεωχάρης, ὃν δὲ καλοῦσιν Ἀλεξίκακον Κάλαμις ἐποίησε. τὸ δὲ ὄνομα τῷ θεῷ γενέσθαι λέγουσιν, ὅτι τὴν λοιμώδη σφίσι νόσον ὁμοῦ τῷ Πελοποννησίων πολέμῳ πιέζουσαν κατὰ μάντευμα ἔπαυσε<ν ἐκ> Δελφῶν. | 1,3,4 Dort sind auch die Taten der Athener bei Mantineia gemalt, die den Lakedaimoniern zu Hilfe geschickt wurden. Es haben andere, vorzüglich aber Xenophon, den ganzen Krieg beschrieben, die Besetzung der Burg Kadmeia und die Niederlage der Lakedaimonier bei Leuktra, wie die Boioter in die Peloponnes einfielen und die Athener den Lakedaimoniern Hilfe zuschickten. In dem Gemälde ist ein Reiterkampf, in dem besonders hervortreten unter den Athenern Grylos, der Sohn des Xenophon, und in der boiotischen Reiterei der Thebaner Epameinondas. Diese Gemälde hat Euphranor den Athenern gemalt, ebenso auch in dem benachbarten Tempel den Apollon mit dem Beinamen Patroos (der Väterliche). Von den beiden Bildsäulen vor dem Tempel hat die eine Leochares, den Apollon mit dem Beinamen Alexikakos (Abwehrer des Übels) dagegen Kalamis gearbeitet; diese Benennung soll der Gott erhalten haben, weil er ihnen die Pest, die sie zugleich mit dem Peloponnesischen Krieg bedrängte, nach einem Orakelspruch aus Delphi abwehrte. | | [1,3,5] ᾠκοδόμηται δὲ καὶ Μητρὸς θεῶν ἱερόν, ἣν Φειδίας εἰργάσατο, καὶ πλησίον τῶν πεντακοσίων καλουμένων βουλευτήριον, οἳ βουλεύουσιν ἐνιαυτὸν Ἀθηναίοις· Βουλαίου δὲ ἐν αὐτῷ κεῖται ξόανον Διὸς καὶ Ἀπόλλων, τέχνη Πεισίου, καὶ Δῆμος, ἔργον Λύσωνος. τοὺς δὲ θεσμοθέτας ἔγραψε Πρωτογένης Καύνιος, Ὀλβιάδης δὲ Κάλλιππον, ὃς Ἀθηναίους ἐς Θερμοπύλας ἤγαγε φυλάξοντας τὴν ἐς τὴν Ἑλλάδα Γαλατῶν ἐσβολήν. | 1,3,5 Auch ist ein Tempel gebaut der Göttermutter, deren Bildsäule Pheidias gemacht hat, ferner in der Nähe das Rathaus der sogenannten Fünfhundert, die ein Jahr lang die Angelegenheiten der Athener beraten. In ihm steht ein Schnitzbild des Zeus Bulaios (des Beratenden), und Apollon, ein Werk des Peisias; ferner der Demos, eine Arbeit des Lyson. Die Thesmotheten hat der Kaunier Protogenes gemalt, Olbiades den Kallippos, der die Athener nach den Thermopylen führte, um den Einfall der Galatern in Griechenland abzuwehren. | | Kap.4: Der Einfall der Galater (Kelten) in Griechenland (279 v.Chr.). Gescheiterter Abwehrversuch bei den Thermopylen. Vorstoß der Galater bis nach Delphi. Abzug aus Griechenland und EInfall in Kleinasien. Die Auseinandersetzung mit den Pergameniern. | | | [1,4,1] οἱ δὲ Γαλάται οὗτοι νέμονται τῆς Εὐρώπης τὰ ἔσχατα ἐπὶ θαλάσσῃ πολλῇ καὶ ἐς τὰ πέρατα οὐ πλωίμῳ, παρέχεται δὲ ἄμπωτιν καὶ ῥαχίαν καὶ θηρία οὐδὲν ἐοικότα τοῖς ἐν θαλάσσῃ τῇ λοιπῇ· καί σφισι διὰ τῆς χώρας ῥεῖ ποταμὸς Ἠριδανός, ἐφ' ᾧ τὰς θυγατέρας τὰς Ἡλίου ὀδύρεσθαι νομίζουσι τὸ περὶ τὸν Φαέθοντα τὸν ἀδελφὸν πάθος. ὀψὲ δέ ποτε αὐτοὺς καλεῖσθαι Γαλάτας ἐξενίκησεν· Κελτοὶ γὰρ κατά τε σφᾶς τὸ ἀρχαῖον καὶ παρὰ τοῖς ἄλλοις ὠνομάζοντο. συλλεγεῖσα δέ σφισι στρατιὰ τρέπεται τὴν ἐπὶ Ἰονίου, καὶ τό τε Ἰλλυριῶν ἔθνος καὶ πᾶν ὅσον ἄχρι Μακεδόνων ᾤκει καὶ Μακεδόνας αὐτοὺς ἀναστάτους ἐποίησε Θεσσαλίαν τε ἐπέδραμε. καὶ ὡς ἐγγὺς Θερμοπυλῶν ἐγίνοντο, ἐνταῦθα οἱ πολλοὶ τῶν Ἑλλήνων ἐς τὴν ἔφοδον ἡσύχαζον τῶν βαρβάρων, ἅτε ὑπὸ Ἀλεξάνδρου μεγάλως καὶ Φιλίππου κακωθέντες πρότερον· καθεῖλε δὲ καὶ Ἀντίπατρος καὶ Κάσσανδρος ὕστερον τὸ Ἑλληνικόν, ὥστε ἕκαστοι δι' ἀσθένειαν οὐδὲν αἰσχρὸν ἐνόμιζον ἀπεῖναι τὸ κατὰ σφᾶς τῆς βοηθείας. | 1,4,1 Diese Galater wohnen am äußersten Rand Europas, an einem großen, bis zu seinem Ende nicht schiffbaren Meer; es hat Ebbe und Flut und nährt Tiere, die denen im übrigen Meer ihn nichts ähnlich sind; durch ihr Land fließt der Eridanos, an dem die Töchter des Helios, der Sage nach, das traurige Geschick ihres Bruders Phaethon beweinen. Erst spät kam der Name Galater in allgemeinen Gebrauch; denn vor Alters hießen sie unter sich und bei den anderen Kelten. Von diesen sammelte sich nun ein Heer, wendete sich nach dem Ionischen (Adriatischen) Meer, unterjochte das Volk der Illyrier und alles, was bis nach Makedonien hin wohnte, und die Makedonen selbst, ja sie machten Streifzüge durch Thessalien. Als sie bis in die Nähe der Thermopylen kamen, warteten die meisten Griechen das Anrücken der Barbaren ruhig ab; denn ihre Macht war durch Alexandros und früher schon durch Philipp tief zerrüttet worden, und auch später noch hatten Antipatros und Kassandros das griechische Volk gebrochen, so dass jeder wegen Schwäche es nicht für schimpflich hielt, seinerseits sich der Hilfeleistung zu entziehen. | | [1,4,2] Ἀθηναῖοι δὲ μάλιστα μὲν τῶν Ἑλλήνων ἀπειρήκεσαν μήκει τοῦ Μακεδονικοῦ πολέμου καὶ προσπταίοντες τὰ πολλὰ ἐν ταῖς μάχαις, ἐξιέναι δὲ ὅμως ὥρμηντο ἐς τὰς Θερμοπύλας σὺν τοῖς ἐλθοῦσι τῶν Ἑλλήνων, ἑλόμενοι σφίσι τὸν Κάλλιππον τοῦτον ἡγεῖσθαι. καταλαβόντες δὲ ᾗ στενώτατον ἦν, τῆς ἐσόδου τῆς ἐς τὴν Ἑλλάδα εἶργον τοὺς βαρβάρους· ἀνευρόντες δὲ οἱ Κελτοὶ τὴν ἀτραπόν, ἣν καὶ Μήδοις ποτὲ Ἐφιάλτης ἡγήσατο ὁ Τραχίνιος, καὶ βιασάμενοι Φωκέων τοὺς τεταγμένους ἐπ' αὐτῇ λανθάνουσι τοὺς Ἕλληνας ὑπερβαλόντες τὴν Οἴτην. | 1,4,2 Die Athener waren zwar in höherem Grad als die übrigen Griechen durch die Dauer des Makedonischen Krieges und die schweren Niederlagen erschöpft; dennoch brachen sie mit den Griechen, die sich freiwillig anschlossen, nach den Thermopylen auf, indem sie den genannten Kallippos zu ihrem Feldherrn wählten. Sie besetzten den Pass, wo er am engsten ist, und verwehrten den Barbaren den Einzug in Griechenland. Nachdem aber die Kelten den Fußpfad, auf dem einst der Trachinier Ephialtes die Meder geführt hatte, aufgefunden und die zur Verteidigung aufgestellten Phokeer zurückgedrängt hatte, kamen sie, ohne dass die anderen Griechen es merkten, über den Oita. | | [1,4,3] ἔνθα δὴ πλείστου παρέσχοντο αὑτοὺς Ἀθηναῖοι τοῖς Ἕλλησιν ἀξίους, ἀμφοτέρωθεν ὡς ἐκυκλώθησαν ἀμυνόμενοι τοὺς βαρβάρους· οἱ δέ σφισιν ἐπὶ τῶν νεῶν μάλιστα ἐταλαιπώρουν ἅτε τοῦ κόλπου τοῦ Λαμιακοῦ τέλματος πρὸς ταῖς Θερμοπύλαις ὄντος· αἴτιον δὲ ἐμοὶ δοκεῖν τὸ ὕδωρ ταύτῃ τὸ θερμὸν ἐκρέον ἐς τὴν θάλασσαν. μείζονα οὖν εἶχον οὗτοι πόνον· ἀναλαβόντες γὰρ ἐπὶ τὰ καταστρώματα τοὺς Ἕλληνας ναυσὶν ὑπό τε ὅπλων βαρείαις καὶ ἀνδρῶν ἐβιάζοντο κατὰ τοῦ πηλοῦ πλεῖν. | 1,4,3 Da zeigten sich denn die Athener am meisten des griechischen Namens würdig, indem sie, umringt, nach beiden Seiten hin die Barbaren abwehrten; in der übelsten Lage befanden sich jedoch die auf den Schiffen, da der Lamische Meerbusen bei den Thermopylen Morast ist; wovon, wie ich glaube, das warme Wasser Ursache ist, das dort in das Meer abfließt. Diese also hatten die größte Not; denn da sie die Griechen auf die Verdecke aufnahmen, mussten sie sich mit ihren von der Ausrüstung und der Mannschaft belasteten Schiffen durch den Sumpf durcharbeiten. | | [1,4,4] οὗτοι μὲν δὴ τοὺς Ἕλληνας τρόπον τὸν εἰρημένον ἔσωζον, οἱ δὲ Γαλάται Πυλῶν τε ἐντὸς ἦσαν καὶ τὰ πολίσματα ἑλεῖν ἐν οὐδενὶ τὰ λοιπὰ ποιησάμενοι Δελφοὺς καὶ τὰ χρήματα. τοῦ θεοῦ διαρπάσαι μάλιστα εἶχον σπουδήν. καί σφισιν αὐτοί τε Δελφοὶ καὶ Φωκέων ἀντετάχθησαν οἱ τὰς πόλεις περὶ τὸν Παρνασσὸν οἰκοῦντες, ἀφίκετο δὲ καὶ δύναμις Αἰτωλῶν· τὸ γὰρ Αἰτωλικὸν προεῖχεν ἀκμῇ νεότητος τὸν χρόνον τοῦτον. ὡς δὲ ἐς χεῖρας συνῄεσαν, ἐνταῦθα κεραυνοί τε ἐφέροντο ἐς τοὺς Γαλάτας καὶ ἀπορραγεῖσαι πέτραι τοῦ Παρνασσοῦ, δείματά τε ἄνδρες ἐφίσταντο ὁπλῖται τοῖς βαρβάροις· τούτων τοὺς μὲν ἐξ Ὑπερβορέων λέγουσιν ἐλθεῖν, Ὑπέροχον καὶ Ἀμάδοκον, τὸν δὲ τρίτον Πύρρον εἶναι τὸν Ἀχιλλέως· ἐναγίζουσι δὲ ἀπὸ ταύτης Δελφοὶ τῆς συμμαχίας Πύρρῳ, πρότερον ἔχοντες ἅτε ἀνδρὸς πολεμίου καὶ τὸ μνῆμα ἐν ἀτιμίᾳ. | 1,4,4 Diese retteten also auf die erzählte Art die Griechen, und die Galater waren innerhalb der Thermopylen. An der Eroberung der anderen Städte war ihnen gar nichts gelegen; ihr Hauptstreben war, Delphi und die Schätze des Gottes zu plündern. Aber es stellten sich ihnen die Delpher selbst und die Phokeer entgegen, die die um den Parnassos liegenden Städte bewohnten; auch kam ein ätolisches Heer zu Hilfe; denn zu jener Zeit zeichnete sich dass ätolische Volk durch seine kriegerische Jugend aus. Als sie nun handgemein wurden, da fuhren Blitze und vom Parnassos abgerissene Feldstücke unter die Barbaren und Schreckensbilder bewaffneter Männer traten ihnen entgegen. Von diesen soll Hyperochos und Amadokos von den Hyperboreern gekommen, der dritte aber Pyrrhos, der Sohn des Achilleus, gewesen sein. Seit dieser Waffenhilfe bringen die Delpher dem Pyrrhos Totenopfer, während sie früher sogar sein Grabmal als das eines ihnen feindseligen Mannes missachteten. | | [1,4,5] Γαλατῶν δὲ οἱ πολλοὶ ναυσὶν ἐς τὴν Ἀσίαν διαβάντες τὰ παραθαλάσσια αὐτῆς ἐλεηλάτουν· χρόνῳ δὲ ὕστερον οἱ Πέργαμον ἔχοντες, πάλαι δὲ Τευθρανίαν καλουμένην, ἐς ταύτην Γαλάτας ἐλαύνουσιν ἀπὸ θαλάσσης. οὗτοι μὲν δὴ τὴν ἐκτὸς Σαγγαρίου χώραν ἔσχον Ἄγκυραν πόλιν ἑλόντες Φρυγῶν, ἣν Μίδας ὁ Γορδίου πρότερον ᾤκισεν - ἄγκυρα δέ, ἣν ὁ Μίδας ἀνεῦρεν, ἦν ἔτι καὶ ἐς ἐμὲ ἐν ἱερῷ Διὸς καὶ κρήνη Μίδου καλουμένη· ταύτην οἴνῳ κεράσαι Μίδαν φασὶν ἐπὶ τὴν θήραν τοῦ Σιληνοῦ -, ταύτην τε δὴ τὴν Ἄγκυραν εἷλον καὶ Πεσσινοῦντα <τὴν> ὑπὸ τὸ ὄρος τὴν Ἄγδιστιν, ἔνθα καὶ τὸν Ἄττην τεθάφθαι λέγουσι. | 1,4,5 Die Hauptmasse der Galater setzte nach Asien über und plünderte die Uferländer; einige Zeit nachher vertrieben die Bewohner von Pergamos, das früher Teuthrania hieß, die Galater von der Meeresküste nach dem von ihnen benannten Galatien. So kamen sie also in den Besitz des Landes jenseits des Sangarios, in dem sie Ankyra, eine Stadt der Phryger, die früher Midas, des Gordios' Sohn, gegründet hatte, einnahmen. Der Anker, den Midas fand, war noch zu meiner Zeit in einem Tempel des Zeus; auch ist dort ein nach dem Midas benannter Brunnen; diesen soll Midas, um den Silenos zu fangen, mit Wein gemischt haben. Dieses Ankyra nun eroberten sie, und Pessinus unter dem Berg Agdistis, wo auch Attes begraben sein soll. | | [1,4,6] Περγαμηνοῖς δὲ ἔστι μὲν σκῦλα ἀπὸ Γαλατῶν, ἔστι δὲ γραφὴ τὸ ἔργον <τὸ> πρὸς Γαλάτας ἔχουσα. ἣν δὲ νέμονται οἱ Περγαμηνοί, Καβείρων ἱεράν φασιν εἶναι τὸ ἀρχαῖον· αὐτοὶ δὲ Ἀρκάδες ἐθέλουσιν εἶναι τῶν ὁμοῦ Τηλέφῳ διαβάντων ἐς τὴν Ἀσίαν. πολέμων δὲ τῶν μὲν ἄλλων, εἰ δή τινας ἐπολέμησαν, οὐκ ἐς ἅπαντας κεχώρηκεν ἡ φήμη· τρία δὲ γνωριμώτατα ἐξείργασταί σφισι, τῆς τε Ἀσίας ἀρχὴ τῆς κάτω καὶ ἡ Γαλατῶν ἀπ' αὐτῆς ἀναχώρησις καὶ τὸ ἐς τοὺς σὺν Ἀγαμέμνονι Τηλέφου τόλμημα, ὅτε Ἕλληνες ἁμαρτόντες Ἰλίου τὸ πεδίον ἐλεηλάτουν τὸ Μήιον ὡς γῆν [τὴν] Τρῳάδα. ἐπάνειμι δὲ ἐς τὴν ἀρχὴν ὅθεν ἐξέβην τοῦ λόγου. | 1,4,6 Die Pergamener haben Beutestücke von den Galatern, und auch ein Gemälde, das die Schlacht gegen die Galater darstellt. Das Land, das die Pergamener bewohnen, soll vor alten Zeiten den Kabiren geweiht gewesen sein; sie selbst aber geben sich für Arkader aus, die mit Telephos nach Asien hinübergingen. Von sonstigen Kriegen, wenn sie überhaupt welche geführt haben, hat sich zu anderen Völkern keine Ruf verbreitet; drei Dinge sind es aber, durch die sie weit berühmt geworden sind: ihre Herrschaft über Vorderasien, die Vertreibung der Galater von dort und das Wagnis des Telephos gegen das Heer des Agamemnon, als die Griechen Ilion verfehlten und das mysische Gefilde als troisches Land plünderten. Doch ich kehre zu der Beschreibung zurück, von wo ich ausgegangen war. | | Kap.5: Die Tholos auf der Agora. Standbilder der Heroen und Eponymen der zehn Phylen: Hippothoon, Antiochos, Aias, Leos, Erechtheus, Aigeus, Oineus, Akamas, Kekrops, Pandion. Jüngere Phylen, die zu Ehren des Attalos, Ptolemaios und Hadrianos benannt sind. | | | [1,5,1] τοῦ βουλευτηρίου τῶν πεντακοσίων πλησίον Θόλος ἐστὶ καλουμένη, καὶ θύουσί τε ἐνταῦθα οἱ πρυτάνεις καί τινα καὶ ἀργύρου πεποιημένα ἐστὶν ἀγάλματα οὐ μεγάλα. ἀνωτέρω δὲ ἀνδριάντες ἑστήκασιν ἡρώων, ἀφ' ὧν Ἀθηναίοις ὕστερον τὰ ὀνόματα ἔσχον αἱ φυλαί· ὅστις δὲ κατεστήσατο δέκα ἀντὶ τεσσάρων φυλὰς εἶναι καὶ μετέθετό σφισι τὰ ὀνόματα ἀντὶ τῶν ἀρχαίων, Ἡροδότῳ καὶ ταῦτά ἐστιν εἰρημένα. | 1,5,1 Nahe am Rathaus der Fünfhundert ist die sogenannte Tholos (Kuppel); dort opfern die Prytanen; auch sind einige nicht eben große silberne Götterbilder da. Weiter oben stehen Bildsäulen der Heroen, von denen später die Phylen bei den Athenern benannt waren. Wer aber aus den vier Phylen 10 gemacht und ihre alten Namen gegen neue vertauscht hat, das hat Herodot (Herod.5,66; Herod.5,69) auch erzählt. | | [1,5,2] τῶν δὲ ἐπωνύμων - καλοῦσι γὰρ οὕτω σφᾶς - ἔστι μὲν Ἱπποθόων Ποσειδῶνος καὶ Ἀλόπης, θυγατρὸς Κερκυόνος, ἔστι δὲ Ἀντίοχος τῶν παίδων τῶν Ἡρακλέους, γενόμενος ἐκ Μήδας Ἡρακλεῖ τῆς Φύλαντος, καὶ τρίτος Αἴας ὁ Τελαμῶνος, ἐκ δὲ Ἀθηναίων Λεώς· δοῦναι δὲ ἐπὶ σωτηρίᾳ λέγεται κοινῇ τὰς θυγατέρας τοῦ θεοῦ χρήσαντος. Ἐρεχθεύς τέ ἐστιν ἐν τοῖς ἐπωνύμοις, ὃς ἐνίκησεν Ἐλευσινίους μάχῃ καὶ τὸν ἡγούμενον ἀπέκτεινεν Ἰμμάραδον τὸν Εὐμόλπου· Αἰγεύς τέ ἐστι καὶ Οἰνεὺς Πανδίονος υἱὸς νόθος καὶ τῶν Θησέως παίδων Ἀκάμας. | 1,5,2 Von den Eponymen, denn so heißen die, nach denen die Phylen benannt sind, ist Hippothoon da, ein Sohn des Poseidon und der Alope, der Tochter des Kerkyon; ferner Antiochos, einer der Söhne des Herakles von der Meda, der Tochter des Phylas; drittens Aias, des Telamons Sohn, und von Athenern Leos, der nach einem Ausspruch des Orakels zum gemeinen Wohl seine Töchter zum Opfer gebracht haben soll. Auch Erechtheus ist unter den Eponymen, der die Eleusinier in einer Schlacht besiegte und ihren Feldherrn, den Immarados, des Eumolpos Sohn, tötete. Weiter ist Aigeus da und Oineus, der unechte Sohn des Pandion, und von den Söhnen des Theseus Akamas. | | [1,5,3] Κέκροπα δὲ καὶ Πανδίονα - εἶδον γὰρ καὶ τούτων ἐν τοῖς ἐπωνύμοις εἰκόνας - οὐκ οἶδα οὓς ἄγουσιν ἐν τιμῇ· πρότερός τε γὰρ ἦρξε Κέκροψ, ὃς τὴν Ἀκταίου θυγατέρα ἔσχε, καὶ ὕστερος, ὃς δὴ καὶ μετῴκησεν ἐς Εὔβοιαν, Ἐρεχθέως υἱὸς τοῦ Πανδίονος τοῦ Ἐριχθονίου. καὶ δὴ καὶ Πανδίων ἐβασίλευσεν ὅ τε Ἐριχθονίου καὶ ὁ Κέκροπος τοῦ δευτέρου· τοῦτον Μητιονίδαι τῆς ἀρχῆς ἐξελαύνουσι, καί οἱ φυγόντι ἐς Μέγαρα - θυγατέρα γὰρ εἶχε Πύλα τοῦ βασιλεύσαντος ἐν Μεγάροις - συνεκπίπτουσιν οἱ παῖδες. καὶ Πανδίονα μὲν αὐτοῦ λέγεται νοσήσαντα ἀποθανεῖν, καί οἱ πρὸς θαλάσσῃ μνῆμά ἐστιν ἐν τῇ Μεγαρίδι ἐν Ἀθηνᾶς Αἰθυίας καλουμένῳ σκοπέλῳ· | 1,5,3 Was den Kekrops und Pandion betrifft, denn auch ihre Statuen sah ich unter den Eponymen, so weiß ich nicht, wem man diese Ehre erweist; denn es regierte ein älterer Kekrops, der des Aktaios Tochter zur Frau hatte, und ein anderer, der nach Euboia auswanderte, ein Sohn des Erechtheus, Enkel des Pandion, Urenkel des Erichthonios. Ebenso regierten auch zwei Pandion, der eine ein Sohn des Erichthonios, der andere ein Sohn des zweiten Kekrops. Diesen vertrieben die Metioniden von der Herrschaft; und da er nach Megara floh, denn er hatte eine Tochter des Phylas, des Königs von Megara, zur Frau, so wurden auch seine Söhne mit ihm landflüchtig. Pandion soll dort an einer Krankheit gestorben sein und hat im megarischen Land am Meer auf der sogenannten Klippe der Athena Aithyia (der Taucherin) sein Grabmal. | | [1,5,4] οἱ δὲ παῖδες κατίασί τε ἐκ τῶν Μεγάρων ἐκβαλόντες Μητιονίδας, καὶ τὴν ἀρχὴν τῶν Ἀθηναίων Αἰγεὺς πρεσβύτατος ὢν ἔσχεν. θυγατέρας δὲ οὐ σὺν ἀγαθῷ δαίμονι ἔθρεψεν ὁ Πανδίων, οὐδέ οἱ τιμωροὶ παῖδες ἀπ' αὐτῶν ἐλείφθησαν· καίτοι δυνάμεώς γε ἕνεκα πρὸς τὸν Θρᾷκα τὸ κῆδος ἐποιήσατο. ἀλλ' οὐδεὶς πόρος ἐστὶν ἀνθρώπῳ παραβῆναι τὸ καθῆκον ἐκ τοῦ θεοῦ· λέγουσιν ὡς Τηρεὺς συνοικῶν Πρόκνῃ Φιλομήλαν ᾔσχυνεν, οὐ κατὰ νόμον δράσας τὸν Ἑλλήνων, καὶ τὸ σῶμα ἔτι λωβησάμενος τῇ παιδὶ ἤγαγεν ἐς ἀνάγκην δίκης τὰς γυναῖκας. Πανδίονι δὲ καὶ ἄλλος ἀνδριάς ἐστιν ἐν ἀκροπόλει θέας ἄξιος. | 1,5,4 Seine Söhne kehrten dann aus Megara zurück, und so erhielt nach Vertreibung der Metioniden der älteste, Aigeus, die Herrschaft über die Athener. Aber Pandion erzog seine Töchter nicht unter günstigem Stern; nicht einmal hinterließen sie ihm rächende Enkel; und doch hat er sich mit dem Thraker nur um der Macht willen verschwägert! So gibt es für den Menschen kein Mittel, dem zu entfliehen, was ihm vom Gott verhängt ist. Tereus, der die Prokne zur Frau hatte, soll, ganz gegen griechische Sitte, die Philomela geschändet haben, und da er das Mädchen noch dazu verstümmelte, zwang er die Frauen zur Rache. Übrigens hat Pandion auf der Akropolis noch eine andere sehenswerte Bildsäule. | | [1,5,5] οἵδε μέν εἰσιν Ἀθηναίοις ἐπώνυμοι τῶν ἀρχαίων· ὕστερον δὲ καὶ ἀπὸ τῶνδε φυλὰς ἔχουσιν, Ἀττάλου τοῦ Μυσοῦ καὶ Πτολεμαίου τοῦ Αἰγυπτίου καὶ κατ' ἐμὲ ἤδη βασιλέως Ἀδριανοῦ τῆς τε ἐς τὸ θεῖον τιμῆς ἐπὶ πλεῖστον ἐλθόντος καὶ τῶν ἀρχομένων ἐς εὐδαιμονίαν τὰ μέγιστα ἑκάστοις παρασχομένου. καὶ ἐς μὲν πόλεμον οὐδένα ἑκούσιος κατέστη, Ἑβραίους δὲ τοὺς ὑπὲρ Σύρων ἐχειρώσατο ἀποστάντας· ὁπόσα δὲ θεῶν ἱερὰ τὰ μὲν ᾠκοδόμησεν ἐξ ἀρχῆς, τὰ δὲ καὶ ἐπεκόσμησεν ἀναθήμασι καὶ κατασκευαῖς ἢ δωρεὰς πόλεσιν ἔδωκεν Ἑλληνίσι, τὰς δὲ καὶ τῶν βαρβάρων τοῖς δεηθεῖσιν, ἔστιν οἱ πάντα γεγραμμένα Ἀθήνῃσιν ἐν τῷ κοινῷ τῶν θεῶν ἱερῷ. | 1,5,5 Dieses sind die alten Eponymen der Athener; später erhielten sie noch Phylen von folgenden: von dem Mysier Attalos, von dem Ägypter Ptolemaios und zu meiner Zeit von Kaiser Hadrianos. Dieser erwies allem Göttlichen die größte Ehrfurcht und tat das meiste zur Wohlfahrt seiner Untertanen; ihn keinen Krieg hat er sich freiwillig eingelassen; die Hebraier über Syrien bändigte er, weil sie abgefallen waren; wie viele Göttertempel er aber teils neu aufbaute, teils mit Weihegeschenken und Gerätschaften bereicherte, wie viele Geschenke er griechischen Städten, und auch den Barbaren, die ihn darum angingen, verteilt hat, alles dies ist zu Athen in dem gemeinschaftlichen Tempel der Götter aufgezeichnet. | | | Übersetzung (überarbeitet) nach: J.H.C.Schubart | |

Sententiae excerptae:
Griech. zu "Pausanias"


Literatur:
zu "Pausanias"

2710

Habicht, Christian

Pausanias und seine 'Beschreibung Griechenlands' (original: Pausanias' Guide to ancient Greece) mit Literaturverz. S. 187 - 191

München, Beck 1985


2718

Akujärvi, Johanna

Researcher, traveller, narrator : studies in Pausanias' Periegesis

Stockholm : Almqvist & Wiksell (Studia Graeca et Latina Lundensia ; 12 ) 2005


2711

Curtius, Ernst

Olympia, mit ausgewählten Texten von Pindar, Pausanias, Lukian ; Erläuterungen

Berlin, Atlantis-Verl. 1935


4175

Geiger, Joseph

Cornelius Nepos and ancient political biography.

Stuttgart : Steiner-Verl.-Wiesbaden-GmbH, 1985 [Historia : Einzelschriften ; 47]


4159

Haacke, H.

Wörterbuch zu den Lebenbeschreibungen des Cornelius Nepos. Für den Schulgebrauch hg. v. Dr. H. Haacke.

Leipzig : Teubner 7/1882


2719

Hutton, William

Describing Greece : landscape and literature in the Periegesis of Pausanias

Cambridge [u.a.], Cambridge Univ. Press, 2005


4168

Nepos / Anselm

Struktur und Transparenz : eine literaturwissenschaftliche Analyse der Feldherrnviten des Cornelius Nepos.

Stuttgart : Steiner, 2004


4180

Nepos / Billerbeck

Vollstaendiges Woerterbuch zu den Lebensbeschreibungen des Cornelius Nepos v. Billerbeck, Heinrich Ludwig Julius

Hannover: Hahn, 1860


4181

Nepos / Eichert

Schulwörterbuch zu den Lebensbeschreibungen des Cornelius Nepos v.Eichert, Otto

Breslau: Kern, 1891


4158

Nepos / Kirfel

De viris illustribus. Ausgewählt, eingeleitet und kommentiert von Ernst-Alfred Kirfel.

Münster : Aschendorff, 10/2010


4163

Nepos / Krafft

De viris illustribus : Lateinisch/Deutsch - Durchges., bibliogr. erg. Ausg. Übers. und hrsg. von Peter Krafft und Felicitas Olef-Krafft

Stuttgart : Reclam, 2006


4167

Nepos / Maier, Fr.

Cornelius Nepos, Berühmte Männer / bearb. von Friedrich Maier

Bamberg : Buchner, 1/2004


4178

Nepos / Marshall

Cornelii Nepotis vitae cum fragmentis / ed. Peter K. Marshall

Leipzig : BSB Teubner, 1/1977


4164

Nepos / May

Cornelii Nepotis Vitarum concordantia / cur. Regine May - Bd. I: A - M

Hildesheim, u.a. : Olms-Weidmann, 2006


4169

Nepos / Nipperdey

Cornelius Nepos, erklärt von Karl Nipperdey. Hrsg. von K. Witte (lat Text, Komment.)

Hildesheim : Weidmann, 14/2002 = 1913


4166

Nepos / Pfeiffer

Berühmte Männer : lateinisch - deutsch = De viris illustribus / Cornelius Nepos. Hrsg. und übers. von Michaela Pfeiffer unter Mitarb. von Rainer Nickel

Düsseldorf : Artemis & Winkler [Sammlung Tusculum], 2006


4162

Nepos / Riege

Berühmte Männer. mit Begleittexten, bearb. von Ernst Riege

Bamberg, Buchner, 2/2008


4176

Nepos / Rolfe

Cornelius Nepos, with an engl. transl. by John C. Rolfe

Cambridge, Mass. [u.a.] : Harvard Univ. Press [u.a.], 1984 [The Loeb Classical Library, 467]


4172

Nepos / Wirth

Berühmte Männer. Aus dem Lat. übers. und mit einer Einl., Erl., einer Zeittaf., einem Namensverz. und Literaturhinweisen vers. von Gerhard Wirth

München : Goldmann, 7/1992


4171

Nepos / Wirth

Cornelius Nepos : lateinisch - deutsch hrsg. von Gerhard Wirth

Amsterdam : Hakkert, 1994


2723

Pausanias / Schubart

Pausanias' Beschreibung von Griechenland, aus dem Griech. übers. von Joh. Heinr. Chr. Schubart

Berlin : Langenscheidt, 1912


2724

Pausanias / Siebelis

Pausanias des Periegeten Beschreibung von Griechenland, aus dem Griechischen übers. von M. Carl Gottfried Siebelis

Stuttgart, Metzler, 1827-1855


2725

Pausanias / Wiedasch

Pausanias Beschreibung von Hellas, aus dem Griechischen übers. und mit Anm. erl. von Ernst Wiedasch

München : Fleischmann, 1826-1833


2714

Atticae descriptio, Graeco traduxit Domitius

Venetiis (Otinus de Luna, Papiensis) 1500


2721

Pausanias / Eckstein, Felix

Reisen in Griechenland : Gesamtausgabe in drei Bänden. Auf Grund d. komm. Übers. von Ernst Meyer hrsg. von Felix Eckstein. Bd. 1 ; Athen : Bücher I - IV ; Attika, Argolis, Lakonien, Messenien Bd. 2 ; Olympia : Bücher V - VII ; Elis I und II, Achaia Bd. 3 ; Delphoi : Bücher VIII - X ; Arkadien, Boiotien, Phokis

Zürich, Aremis (Bibliothek der alten Welt) 2001


2720

Pausanias / Eckstein, Felix

Reisen in Griechenland : Gesamtausgabe in drei Bänden. Auf Grund d. komm. Übers. von Ernst Meyer hrsg. von Felix Eckstein. Bd. 1 ; Athen : Bücher I - IV ; Attika, Argolis, Lakonien, Messenien Bd. 2 ; Olympia : Bücher V - VII ; Elis I und II, Achaia Bd. 3 ; Delphoi : Bücher VIII - X ; Arkadien, Boiotien, Phokis

Zürich, Aremis (Bibliothek der alten Welt) 2001


2722

Pausanias / Laager, Jacques

Beschreibung Griechenlands : ein Reise- und Kulturführer aus der Antike. Pausanias. Ausw., Übers. aus dem Griech. und Nachw. von Jacques Laager.

Zürich, Manesse, 1998


2712

Pausanias / Meil, Johann Wilhelm

Pausanias

, Reisebeschreibung von Griechenland, übersetzt v. Goldhagen

Berlin 1766


2715

Pausanias / Meyer, Ernst

Pausanias, Beschreibung Griechenlands. Neu übers. und mit einer Einl. und erkl. Anm. vers. von Ernst Meyer

Zürich, Artemis (Bibliothek der Alten Welt : Griechische Reihe 28) 1954



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